Edited By Pooja Gill,Updated: 21 Oct, 2022 12:40 PM

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में धनतेरस के अवसर पर सभी लोग मां अन्नपूर्णा के मंदिर में जाते है और मां के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते है। मां अन्नपूर्णा का मंदिर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में स्थित है। मां अन्नपूर्णा...
वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी में धनतेरस के अवसर पर सभी लोग मां अन्नपूर्णा के मंदिर में जाते है और मां के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते है। मां अन्नपूर्णा का मंदिर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में स्थित है। मां अन्नपूर्णा को खजाने वाली देवी माना जाता है। हर साल धनतेरस पर यह मंदिर खुलता है और इस बार भी 23 अक्टूबर से मंदिर खुल जाएगा। मंदिर खुलने के बाद 4 दिनों तक भक्त मां अन्नपूर्णा का दर्शन कर सकेंगे। वहीं, इस बार मंदिर में आने वाले भक्तों में बांटने के लिए 5 लाख सिक्कों की व्यवस्था की गई है।
बता दें कि 22 अक्टूबर की मध्य रात्रि में मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा की आरती के बाद भोर से भक्तों के लिए देवी के कपाट खोल दिए जाएंगे और भक्त मां के दर्शन कर सकते है। मां भक्तों को सिर्फ साल में 4 दिन ही दर्शन देती हैं। धनतेरस से पूरे 4 दिनों तक भक्त मां अन्नपूर्णा के अद्भुत स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन कर देवी का खजाना पा सकेंगे। इस बार भक्तों में बांटने के लिए 5 लाख सिक्कों की व्यवस्था की गई है। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पूरी ने बताया कि 22 अक्टूबर की मध्य रात्रि में देवी की महाआरती के साथ खजाने की पूजा होती है। उसके बाद उसी खजाने को भक्तों में प्रसाद स्वरूप निःशुल्क बांटा जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त देवी के इस खजाने को अपने तिजोरी में रखता है पूरे साल उसे अन्न-धन की कमी नहीं होती है।

भक्तों को बांटे जाएगे चांदी के सिक्के
धनतेरस के दिन अन्नपूर्णा देवी के दर्शन और खजाने के लिए भक्तों की भीड़ लगी होती है। श्री अन्नपूर्णा मंदिर प्रबंधन ने इस बार आम सिक्कों के अलावा 30 किलो चांदी के विशेष सिक्के भी तैयार कराए हैं। जिसमें मां अन्नपूर्णा की तस्वीर उकेरी गई है। इसके अलावा अष्टधातु के सिक्के भी इस बार भक्तों में बांटे जाएंगे। वहीं, माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से काशी में कोई भूखा नहीं सोता है। भगवान शंकर ने भी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। तब देवी ने उन्हें वरदान दिया था कि उनकी नगरी में कोई भूखा उठ तो सकता है लेकिन भूखा सो नहीं सकता। इसलिए भक्त हर धनतेरस पर मां का दर्शन करने यहां पर पहुंचते है।