कांशीराम की जयंती पर मायावती ने दी श्रद्धांजलि, कहा- अपने बहुमूल्य वोट की ताकत को समझना जरूरी

Edited By Ramkesh,Updated: 15 Mar, 2025 03:40 PM

mayawati paid tribute to kanshiram on his birth anniversary

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम की 91वीं जयंती पर शनिवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि पार्टी उनके सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात जुटी हुई है।

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम की 91वीं जयंती पर शनिवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि पार्टी उनके सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात जुटी हुई है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर मायावती ने सिलसिलेवार पोस्ट में कहा,‘‘ आज बसपा के संस्थापक कांशीराम जी की जयंती पर पूरे देश में पार्टी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के उनके आंदोलन को मजबूत करने का संकल्प लिया।

सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करना जरूरी
उन्होंने कहा, ‘‘ बहुजन समाज को घोर गरीबी, बेरोजगारी, शोषण, उत्पीड़न, पिछड़ेपन, जातिवाद, सांप्रदायिक हिंसा और तनाव की कष्टदायक जिंदगी से मुक्ति दिलाने के लिए अपने बहुमूल्य वोट की ताकत को समझना और सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करना जरूरी है। यही आज का संदेश है।

बसपा बातों से ज्यादा काम करने में विश्वास करती है
खुद को 'लौह महिला' बताते हुए बसपा प्रमुख ने कहा, "उत्तर प्रदेश की विशाल आबादी ने देखा है कि कैसे 'लौह महिला' के नेतृत्व में बसपा बातों से ज्यादा काम करने में विश्वास करती है। इसने सत्ता में रहने के दौरान बहुजनों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित किया, जबकि अन्य दलों द्वारा किए गए अधिकांश दावे निराधार और भ्रामक साबित हुए।" कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रूपनगर में हुआ था और उन्होंने पिछड़े वर्गों के लोगों के उत्थान और राजनीतिक लामबंदी के लिए काम किया।

 कांशीराम ने 1984 में बसपा का किया था गठन
उन्होंने 1971 में अखिल भारतीय पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ (बामसेफ) की स्थापना की, 1981 में दलित शोषित समाज संघर्ष समिति की स्थापना की तथा 1984 में बसपा का गठन किया। कांशीराम 1991 में उत्तर प्रदेश के इटावा से और 1996 में पंजाब के होशियारपुर से लोकसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1998 से 2004 तक राज्यसभा सदस्य के रूप में भी कार्य किया। बसपा संस्थापक का नौ अक्टूबर 2006 को 71 वर्ष की आयु में दिल्ली में निधन हो गया था। 

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