शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष की जमानत याचिका पर सुनवाई 4 अप्रैल तक टली, जानिए वजह

Edited By Anil Kapoor,Updated: 02 Apr, 2025 03:43 PM

hearing on zafar ali s bail plea postponed till april 4

Sambhal News: संभल स्थित शाही जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष जफर अली की जमानत याचिका पर सुनवाई केस डायरी उपलब्ध ना होने के कारण 4 अप्रैल तक के लिए टाल दी गई। एक वकील ने बुधवार को बताया कि शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष जफर...

Sambhal News: संभल स्थित शाही जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष जफर अली की जमानत याचिका पर सुनवाई केस डायरी उपलब्ध ना होने के कारण 4 अप्रैल तक के लिए टाल दी गई। एक वकील ने बुधवार को बताया कि शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष जफर अली को 23 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और उनकी जमानत याचिका पर पहले 27 मार्च को सुनवाई होनी थी। उस दिन चंदौसी में न्यायाधीश निर्भय नारायण राय की एडीजे-2 अदालत ने अली की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उनकी स्थायी जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए दो अप्रैल की तारीख तय की थी। उन्होंने बताया कि हालांकि, केस डायरी उपलब्ध न होने के कारण मामले को अब चार अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है।

अपर जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश सैनी ने बताया कि आज की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने केस डायरी नहीं होने का हवाला देते हुए जफर अली को अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया। हालांकि, मैंने दलील दी कि उनकी अंतरिम जमानत पहले ही खारिज हो चुकी है, इसलिए याचिका को फिर से खारिज किया जाना चाहिए। न्यायालय ने इस दलील को स्वीकार करते हुए अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

4 अप्रैल तक केस डायरी उपलब्ध कराई जाए और तब स्थाई जमानत याचिका पर होगी सुनवाई
उन्होंने कहा कि अदालत ने अब निर्देश दिया है कि 4 अप्रैल तक केस डायरी उपलब्ध कराई जाए और तब स्थाई जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। अली को मुगलकालीन मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के विरोध में 24 नवंबर को हुई हिंसा के संबंध में पूछताछ के बाद 23 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उसी दिन चंदौसी की एक अदालत ने अली की जमानत याचिका खारिज कर दी और उसे दो दिन की न्यायिक हिरासत में मुरादाबाद जेल भेज दिया। अली के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। अली ने आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि उन्हें फंसाया गया है।

4 नवंबर को हुई हिंसा में 4 लोग मारे गए थे और कई अन्य हो गए थे घायल
बताया जा रहा है कि अली के बड़े भाई ताहिर अली ने आरोप लगाया कि पुलिस ने न्यायिक समिति द्वारा गवाही दर्ज किए जाने से पहले ही उनके भाई को ‘‘जानबूझकर'' जेल भेज दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वेक्षण को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए समिति गठित की है। 24 नवंबर को हुई हिंसा में 4 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।

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