दवा के नाम पर गैस की गोली, मारपीट...गाजीपुर में बिना रजिस्‍ट्रेशन चल रहा था मेंटल हॉस्पिटल, एक मरीज की मौत

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 30 Apr, 2024 04:25 PM

ghazipur mental hospital was running without registration

यूपी के गाजीपुर से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। जहां जिले के एक गांव में अवैध मानसिक अस्पताल चल रहा था। इस अस्पताल में मरीजों...

गाजीपुर: यूपी के गाजीपुर से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। जहां जिले के एक गांव में अवैध मानसिक अस्पताल चल रहा था। इस अस्पताल में मरीजों को जंजीरों में कैद कर उनका इलाज किया जाता था। इतना ही नहीं, मरीजों से मारपीट भी की जाती है। इस अस्पताल का खुलासा तब हुआ जब एक मरीज की मौत हो गई। मृतक बिहार के  कैमूर जिला के दुर्गावती थाने का रहना वाला था। मरीज की मौत का मामला गर्म हो गया है।

प्रभारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जमानिया के डॉक्टर रविरंजन ने मीडिया को बताया कि सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल में मानसिक मरीजों को दवा के नाम पर केवल गैस की गोली दी जाती थी। मरीजों को पिटाई कर उन्‍हें जंजीर से बांधकर रखा जाता था, जो यातना से कम नहीं था। अस्पताल में 6 मरीज और भर्ती थे। इन सभी को जंजीर में बांधकर रखा गया था। उनके परिजन से बात की गई है। पूरी जानकारी सीएमओ और नोडल एसीएमओ को भेज दी गई है। अधिकारियों के निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई होगी।

वहीं, मृतक विकास के पिता परमहंस राम के तहरीर पर पुलिस ने सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल के संचालक डॉक्टर विजय नारायण पाठक और उनके बेटे सुनील पाठक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया है। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया। सोमवार को पूछताछ के बाद दोनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। पीड़ित परिजनों ने शिकायत की थी कि सीना और गला दबाने से उनके मरीज की मौत हुई थी। जांच के लिए जब जिले के स्वास्थ्य अधिकारी अवैध मानसिक अस्पताल पहुंचे तो वहां 6 मरीज जंजीरों से बंधे हुए थे। उनकी देखरेख के लिए कोई स्टाफ नहीं था। वहां मौजूद मरीजों ने बताया कि वह पूरी तरह ठीक हैं फिर भी उन्हें बांध रखा है। उनके साथ मारपीट की जाती है। पुलिस ने अस्पताल संचालक पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया है।

इलाज के 78 हजार, खाने के 6 हजार
मानसिक रोगियों को मारपीट और डरा धमका कर उन्हें यहां जंजीरों में कैद कर रखा जाता था। वहीं, एक मरीज के परिजन ने बताया कि वह बिहार के मोहनिया का रहने वाला है। उसका बेटा नशा करता था इसलिए यहां पर भर्ती कराया। इलाज के लिए उनसे 78 हजार रुपये लिया गया। इसके अलावा प्रति महीना भोजन के लिए 6 हजार रुपये भी लिया जाता है। 
 

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