हिंदू महासभा की मांग- सरकार कराए लव जिहाद की शिकार हुई लड़कियों की घर वापसी

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 31 Oct, 2020 02:33 PM

demand for hindu mahasabha government should make

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन को लेकर अहम फैसला सुनाया है, जिसका अखिल भारत हिन्दू महासभा ने स्वागत किया है। हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने सरकार से लव जिहाद की शिकार हुई लड़कियों को अपने धर्म में वापस लाने की मांग की।...

मेरठः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन को लेकर अहम फैसला सुनाया है, जिसका अखिल भारत हिन्दू महासभा ने स्वागत किया है। हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने सरकार से लव जिहाद की शिकार हुई लड़कियों को अपने धर्म में वापस लाने की मांग की। शर्मा ने कहा कि लव जिहाद के खिलाफ सरकार को पहले ही कड़े कदम उठाना चाहिए था। इसलिए हाईकोर्ट को एक्शन लेना पड़ा। हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा कहते हैं कि हाईकोर्ट के इस फैसले से गैर समुदाय में शादी करने पर जबरन धर्म परिवर्तन से राहत मिलेगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुजफ्फरनगर के धर्म परिवर्तन मामले पर सुनवाई कर फैसला सुनाया। दरअसल, मुजफ्फरनगर जिले के विवाहित जोड़े ने परिवारवालों को उनके शांति पूर्ण वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए उसे खारिज दिया है। जस्टिस एम सी त्रिपाठी की एकलपीठ ने प्रियांशी उर्फ समरीन व अन्य की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एक याची मुस्लिम है तो दूसरा हिन्दू है। लड़की ने 29 जून 2020 को हिन्दू धर्म स्वीकार किया और एक महीने बाद 31 जुलाई को उसने विवाह कर लिया। कोर्ट ने इस आधार पर कहा है कि रिकार्ड से स्पष्ट है कि शादी करने के लिए ही धर्म परिवर्तन किया गया है। कोर्ट ने नूर जहां बेगम केस के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है। इस केस में हिन्दू लड़की ने धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी की थी। कोर्ट के समक्ष सवाल ये था कि क्या हिन्दू लड़की धर्म बदलकर मुस्लिम लड़के से शादी कर सकती है और यह शादी वैध होगी। कोर्ट ने कुरान की हदीसो का हवाला देते हुए कहा कि इस्लाम के बारे में बिना जाने और बिना आस्था और विश्वास के धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है। यह इस्लाम के खिलाफ है।

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