मिर्जापुर में बौद्ध महोत्सव का आयोजन, कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल बोले- भगवान बुद्ध ने समाज में दिया करुणा का संदेश

Edited By Harman Kaur,Updated: 25 Oct, 2023 11:31 AM

buddhist festival organized in mirzapur

यूपी के मिर्जापुर में लालगंज क्षेत्र के बेलाही गांव में बौद्ध महोत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल व विशिष्ट अतिथि विधायक कार्यक्रम में पहुंचकर भगवान बुद्ध की प्रतिमा....

मिर्जापुर (बृजलाल मौर्य): यूपी के मिर्जापुर में लालगंज क्षेत्र के बेलाही गांव में बौद्ध महोत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल व विशिष्ट अतिथि विधायक कार्यक्रम में पहुंचकर भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर फूल माला अर्पित की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ने समाज में दिया करुणा का संदेश।

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वहीं, बुद्ध महोत्सव कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने कहा कि भगवान बुद्ध समाज में करुणा का संदेश दिए हैं। इसलिए अपने देश के अलावा विदेश में भी भगवान बुद्ध को बढ़-चढ़कर मानते हैं और उन्होंने समाज में समता मूलक समाज के स्थापना करने का संप्रभुता और मानवता का संदेश दिया है।विकसित देशों में भी तथागत भगवान बुद्ध को मानते हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि समाज में बुद्ध के विचारों का प्रचार प्रसार होना चाहिए। जिससे समाज के साथ-साथ देश का भी विकास होगा। कैबिनेट मंत्री ने कार्यक्रम की आयोजन समिति को भी साधुवाद दिया और बौद्ध प्रतिमा के स्थल को विस्तार कराने का आश्वासन दिया।

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इस अवसर पर डॉक्टर अरुण कुमार मौर्य ने बताया कि अशोक विजय दशमी सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध में विजयी होने के दसवें दिन तक मनाए जाने के कारण इसे अशोक विजयादशमी कहते हैं। इसी दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी। ऐतिहासिक सत्यता है कि महाराजा अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद हिंसा का मार्ग त्याग कर बौद्ध धम्म अपनाने की घोषणा कर दी थी। बौद्ध बन जाने पर वह बौद्ध स्थलों की यात्राओं पर गए। तथागत गौतम बुद्ध के जीवन को चरितार्थ करने तथा अपने जीवन को कृतार्थ करने के निमित्त हजारों स्तंभों शिलालेखों व धम्म स्तम्भों का निर्माण कराया।

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उन्होंने आगे बताया कि सम्राट अशोक के इस धार्मिक परिवर्तन से खुश होकर देश की जनता ने उन सभी स्मारकों को सजाया और संवारा तथा उस पर दीपोत्सव किया । यह आयोजन हर्षोल्लास के साथ दस दिनों तक चलता रहा। दसवें दिन महाराजा ने राज परिवार के साथ पूज्य भंते मोगलीपुत्त तिष्य से धम्म दीक्षा ग्रहण की था। धम्म दीक्षा के उपरांत महाराजा ने प्रतिज्ञा की थी, कि आज के बाद मैं शास्त्रों से नहीं बल्कि शांति और अहिंसा से प्राणी मात्र के दिलों पर विजय प्राप्त करूँगा। इसीलिए सम्पूर्ण बौद्ध जगत इसे अशोक विजय दशमी के रूप में मनाता है।

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