Edited By Umakant yadav,Updated: 02 Dec, 2020 02:35 PM
जबरन धर्म परिवर्तन कराने को लेकर उत्तर प्रदेश में नये कानून को लेकर छिड़ी बहस के बीच बरेली में दरगाह-ए-आला हजरत परिसर स्थित रजवी दारुल इफ्ता से फतवा जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि लालच देकर या...
बरेली: जबरन धर्म परिवर्तन कराने को लेकर उत्तर प्रदेश में नये कानून को लेकर छिड़ी बहस के बीच बरेली में दरगाह-ए-आला हजरत परिसर स्थित रजवी दारुल इफ्ता से फतवा जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि लालच देकर या जबरन धर्म परिवर्तन कराना नाजायज है। सुन्नी बरेलवी मसलक का मरकज दरगाह आला हजरत की दुनिया भर में अलग पहचान है। यहां से बरेलवी मसलक से जुड़े मुसलमानों को मजहवी एतबार की जानकारी भी दी जाती है।
राष्ट्रीय सुन्नी उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना इंतजार अहमद कादरी ने मरकजे दारूल इफ्ता के मुफ्तियों से सवाल पूछा कि क्या कोई मुस्लिम लड़का किसी गैर मुस्लिम लड़की से शादी करने के लिए फरेब यानी धोखाधड़ी करके उसका मजहब बदलवा सकता है, क्या शरीयत में लव जिहाद का कोई वजूद है। अपना मकसद हासिल करने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करने वालों के लिए क्या हुक्म है।
इसके जवाब में दारुल इफ्ता के अध्यक्ष मुफ्ती मुसीबुर रहमान रिजवी ने जानकारी दी है ,जिसकी तस्दीक मौलाना अर्स्लान खान ने की। दोनों ने इस संबंध में शरीयत हुक्म पर रौशनी डाली है। जबाब पर मुफ्ती मूतीबुरर्हमान रजवी और मौलाना अर्स्लान खान के हस्ताक्षर हैं। इस्लाम में लव जिहाद के लिए कोई स्थान नहीं है। यह सामाजिक बुराई है जो पश्चिमी सभ्यता से फैली है।
फतवे में प्रदेश के एक जिले के दलित परिवार द्वारा अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करना एतराज काबिल नहीं है। इस्लाम कबूल करने का उल्लेख किया गया। इस उदाहरण को इस तौर पर माना जा सकता है कि अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करना ऐतराज़ के काबिल नहीं है। फतवे में लव जिहाद शब्दों को स्पष्ट किया है कि यह लव अंग्रेजी शब्द है और जिहाद अरबी का। इसका एक दूसरे से संबंध नहीं है। शरीयत के नजर में लव जिहाद की कोई हैसियत नहीं है। दारुल इफ्ता के उलेमा ने प्रदेश सरकार के बनाए कानून का समर्थन किया है।