Edited By Ajay kumar,Updated: 29 Jan, 2024 04:58 PM
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने विश्व हिन्दू परिषद द्वारा ज्ञानवापी पर किए गए दावे और मांग को गलत बताया है। कहा कि ज्ञानवापी का मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
बरेलीः ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने विश्व हिन्दू परिषद द्वारा ज्ञानवापी पर किए गए दावे और मांग को गलत बताया है। कहा कि ज्ञानवापी का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। एएसआई सर्वे रिपोर्ट अभी-अभी आई है, जिस पर कोर्ट ने कोई निर्णय नहीं दिया है।
ज्ञानवापी मस्जिद पर एएसआई के सर्वे पर आंख बंद कर भरोसा नहीं कर सकते
उन्होंने कहा कि मुसलमान कानून का सम्मान करता है। बाबरी मस्जिद पर कोर्ट के फैसले के बाद यह दिखाया भी है। मौलाना ने कहा कि बाबरी मस्जिद पर 2003 में एएसआई ने सर्वे किया था। 575 पेज की रिपोर्ट में कहा गया था कि मस्जिद के नीचे मंदिर है। सर्वे रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया था। लिहाजा ज्ञानवापी मस्जिद पर एएसआई के सर्वे पर आंख बंद कर भरोसा नहीं कर सकते हैं। हम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे। केवल सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जश्न मनाना और बयानबाजी करना कोर्ट की तौहीन है। विहिप पदाधिकारी उल्टे-सीधे बयान देकर समाज को तोड़ने का प्रयास न करें।
ASI की सर्वे रिपोर्ट सामने आने पर क्या कहा हिंदू पक्ष के वकील ने?
गौरतलब है कि हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट से संकेत मिला है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। जैन ने संवाददाताओं को बताया कि एएसआई की 839 पन्नों वाली सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रतियां गुरुवार देर शाम अदालत द्वारा संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी गईं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिंदू मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद उसके अवशेषों पर बनाई गई थी। जैन ने यह भी दावा किया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में मंदिर के अस्तित्व के पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई है, जिस पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। उन्होंने दावा किया कि सर्वेक्षण के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष पाए गए हैं।
जानिए, ASI रिपोर्ट के हवाले से क्या बोले हिंदू पक्ष के वकील?
मिली जानकारी के मुताबिक, जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण में स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने दावा किया कि मंदिर को तोड़ने का आदेश और तारीख पत्थर पर फारसी भाषा में अंकित है। उन्होंने कहा कि ‘महामुक्ति' लिखा हुआ एक पत्थर भी मिला है। जैन ने कहा कि मस्जिद के पीछे की पश्चिमी दीवार एक मंदिर की दीवार है। उन्होंने कहा कि उस दीवार पर घण्टा, वल्लरी (लताओं का उकेरा गया चित्र) और स्वास्तिक का चिह्न मिला है। दीवार पर पत्थरों पर उकेरा गया ब्रह्म कमल का तोरण द्वार बना हुआ है। जैन ने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्ञानवापी परिसर में स्थित तहखाने की छत जिन खम्भों पर टिकी है वे सब नागर शैली के मंदिर के स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि इन साक्ष्यों से यह प्रतीत होता है कि 17वीं शताब्दी में औरंगजेब द्वारा जब आदि विशेश्वर का मंदिर तोड़ा गया था तो उसके पूर्व उक्त स्थान पर विशाल मंदिर ही था। जैन ने कहा कि अब हम वजू खाने के सर्वेक्षण की मांग अदालत के समक्ष करेंगे।