बेटी की जिद, शौचालय नहीं बना तो नहीं जाऊंगी स्कूल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Aug, 2017 02:42 PM

daughter  s stubbornness  do not make toilet  school will not go

कहते हैं हौंसला बुंलद हो तो कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है। ऐसे ही बुलंद इरादों की बानगी एक बेटी ने पेश की है........

कन्नाैजः कहते हैं हौंसला बुंलद हो तो कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है। ऐसे ही बुलंद इरादों की बानगी एक बेटी ने पेश की है जिसका परिणाम भी सामने आया है। दरअसल कन्नाैज की रहने वाली एक बेटी ने पिता से घर में शाैचालय बनवाने की डिमांड रख दी आैर साफ कह दिया कि जब इसे बनवाया नहीं जाता तब तक वह न ताे स्कूल जाएगी आैर न ही खाना खाएगी। आखिरकार बेटी की जिद के आगे पिता काे झुकना पड़ा आैर उसने तत्काल शाैचालय बनाने का निर्णय किया

क्या है पूरा मामला
मामला कन्नाैज जिले की तालग्राम विकास खंड के ज्ञानपुर गांव का है। यहां की रहने वाली 13 वर्षीय संध्या उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 8 की छात्रा है। विद्यालय में उसकी सहेलियां इस बात के लिए उसका मजाक उड़ाती थी कि वह खुले में शौच के लिए जाती है। राेज राेज के तानाें से परेशान हो चुकी संध्या ने अपने पिता से शोचालय बनवाने की मांग की और साथ ही कहा जब तक शौचालय नहीं बनता वह ना तो कुछ खायेगी और ना ही स्कूल जाएगी।

गरीबी का हवाला के बावजूद जिद पर अड़ी रही संध्या
माता पिता ने गरीबी का हवाला भी दिया पर वह अपनी जिद पर अटकी रही।आखिरकार गरीब पिता को बेटी की जिद पुरी करनी पड़ी।मजदूर पिता ने मजदूरी कर थोड़ा थाेड़ा पैसा इक्कठा किया और कुछ पैसा उधार लिया। पिता ने सरकारी सहायता का इन्तजार नहीं किया और कर्ज लेकर शौचालय बनवा दिया। शौचालय बनने के बाद संध्या ने अपनी जिद्द तोड़ दी और फिर स्कूल जाने लगी। संध्या द्वारा प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान काे पूरा करने की जिद की पहल की चर्चा गांव में ही नहीं बल्कि पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।

शौचालय बनवाने के बाद सरकार ने भी की मदद
जानकारी के मुताबिक संध्या की मां का कहना है कि कर्ज लेकर शौचालय बनवाने के बाद सरकार ने भी उसकी गरीबी की तरफ देखा और उसको 12000 रुपये अनुदान के रूप में दिया। इस अनुदान से सन्धा के पिता ने सारा कर्ज भी चुका दिया है।

मुख्य विकासधिकारी ने 15 अगस्त काे सम्मानित करने का लिया फैसला 
संध्या की जिद से बने शौचालय को देखकर गांव के सचिव और प्रधान भी काफी प्रभावित हुए। उन्हाेंने संध्या के पिता की गरीबी को देखते हुए सरकार से अनुदान दिलाने का काम किया।वहीं मुख्य विकासधिकारी अवधेश बहादुर सिंह का कहना है कि प्रेणाश्रोत संध्या को 15 अगस्त के अवसर पर सम्मानित किया जायेगा और जिले में  खुले में शौच मुक्त गाँव में ले जाकर उसके अनुभव को शेयर कराया जाएगा।  

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