Edited By Nitika,Updated: 19 Nov, 2019 01:35 PM
उत्तराखंड में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में स्थित एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) के स्थायी परिसर के विवाद के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार को केन्द्र सरकार और एनआईटी से याचिकाकर्ता के सवालों के जवाब देने को कहा है।
नैनीतालः उत्तराखंड में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में स्थित एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) के स्थायी परिसर के विवाद के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार को केन्द्र सरकार और एनआईटी से याचिकाकर्ता के सवालों के जवाब देने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली युगलपीठ ने आज केन्द्र सरकार और राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान से याचिकाकर्ता के सवालों के जवाव देने को कहा। कोर्ट की ओर से एनआईटी के पूर्व छात्र जसबीर सिंह की ओर से पेश जनहित याचिका पर सुनवाई की गई। कोर्ट ने केन्द्र और एनआईटी को निर्देश दिए कि श्रीनगर एनआईटी अस्थायी परिसर में अध्यापन से संबंधित सुविधाओं को लेकर 3 सप्ताह में जवाब पेश करे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अध्यापकों की वास्तविक संख्या के बारे में शपथपत्र में उल्लेख किया जाए। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि श्रीनगर स्थित अस्थायी परिसर में तमाम तरह की असुविधाएं मौजूद हैं। परिसर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। छात्रों के लिए न तो एटीएम की सुविधा उपलब्ध है और नहीं किताब खरीदने के लिए दुकान है। वहां मौसम काफी गर्म है। 10 साल में सुविधाओं का विस्तार नहीं किया गया है। इसके बाद कोर्ट ने केन्द्र सरकार और एनआईटी को 3 सप्ताह में सभी बिन्दुओं पर जवाब पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से एनआईटी के श्रीनगर परिसर को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की गई है।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि केन्द्र और राज्य सरकार 10 साल बीत जाने के बाद भी एनआईटी के स्थायी परिसर नहीं बना पाया हैं। सुमाड़ी स्थित भूमि एनआईटी के स्थायी परिसर के लिये उपयुक्त नहीं है। दूसरी ओर केन्द्र सरकार की ओर से श्रीनगर के सुमाड़ी स्थित भूमि पर ही एनआईटी के स्थायी परिसर के निर्माण की योजना बनाई है। बता दें कि मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अगुवाई में राज्य सरकार ने हाल ही में एनआईटी के स्थायी परिसर का शिलान्यास भी कर दिया है।