Edited By Ajay kumar,Updated: 08 Jul, 2024 06:30 PM
आजकल मोबाइल के साथ ईयरफोन, हेडफोन व ईयरबड्स का प्रयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। युवक-युवती से लेकर उम्रदराज लोग भी बहुतायत में ईयरफोन का प्रयोग कर रहे हैं। ईयर फोन व हेड फोन के लगातार कई-कई घंटे इस्तेमाल से कान में सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
लखनऊ: आजकल मोबाइल के साथ ईयरफोन, हेडफोन व ईयरबड्स का प्रयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। युवक-युवती से लेकर उम्रदराज लोग भी बहुतायत में ईयरफोन का प्रयोग कर रहे हैं। ईयर फोन व हेड फोन के लगातार कई-कई घंटे इस्तेमाल से कान में सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को जारी किया गया पत्र
ईयर फोन व हेड फोन के इस्तेमाल से होने वाली दिक्कतों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को पत्र जारी किया है। पत्र में उन्होंने सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों से बेवजह ईयर फोन के इस्तेमाल करने पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। प्रमुख सचिव ने पत्र के माध्यम से कहा कि बेवजह ब्लूटूथ, ईयरफोन और हेड फोन का उपयोग करने वालों को जागरूक करने की जरूरत है। घंटों ईयरफोन लगाए रखने से अस्थाई रूप से सुनने की क्षमता भी खत्म हो रही है। पहले सुनना कम धीरे-धीरे कम होता है फिर यह क्रम बढ़ता जाता है।
दो घंटे से ज्यादा ईयरफोन का इस्तेमाल घातक
पार्थ सारथी सेन शर्मा ने पत्र में कहा कि आवश्यकता पड़ने पर 50 डिसिमल वॉल्यूम पर, ईयर फोन और हेड फोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, रोजाना दो घंटे से अधिक ईयर फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने को भी कहा है। साथ ही बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग और तेज आवाज में हेड फोन इस्तेमाल करने से रोकने का सुझाव भी दिया है। उन्होंने कहा कि एक बार सुनने की क्षमता जाने पर दोबारा श्रवण शक्ति नहीं आ पाती।
हेयर सेल होते हैं डैमेज
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि ईयरफोन के माध्यम से आवाज सीधे ईयरड्रम पर पहुंचती है है। लगातार ऊंची है रहने से कान के अंदर सीमित संख्या में मौजूद हेयर सेल मर जाते हैं। जिसकी वजह से धीमी आवाज सुनने आवाज में सुनते डैमेज होते हैं और फिर स्थायी रूप से की शक्ति हमेशा के लिए खत्म हो जाती है।