Edited By Ramkesh,Updated: 28 May, 2025 08:07 PM

जिला मुख्यालय के सिगरा थाने की पुलिस ने एक निजी स्कूल की अध्यापिका की शिकायत पर स्कूल के ही डीन पर यौन उत्पीड़न का दबाव बनाने जैसे गंभीर आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। सिगरा थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि थाना क्षेत्र...
वाराणसी: जिला मुख्यालय के सिगरा थाने की पुलिस ने एक निजी स्कूल की अध्यापिका की शिकायत पर स्कूल के ही डीन पर यौन उत्पीड़न का दबाव बनाने जैसे गंभीर आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। सिगरा थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि थाना क्षेत्र के डालमिस सनबीम स्कूल में कार्यरत एक अध्यापिका की तहरीर पर डीन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
डीन के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया केस
एसएचओ के अनुसार, इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 296 (सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कृत्य) और 352 (शांति भंग के इरादे से किसी का जानबूझकर अपमान) के तहत आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्यवाही की जा रही है। पुलिस के अनुसार, पीड़िता ने तहरीर में आरोप लगाया कि हाल ही में, वह किसी कार्य के लिए एक खाली कक्षा में गई थीं, तभी डीन वहां आए और उनका मोबाइल छीन लिया।
बिना पूर्व नोटिस के स्कूल से निकाला
पीड़िता के अनुसार, डीन ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए धमकी दी कि “जब रात को अकेले बुलाता हूँ तो नहीं आती हो। अगर मोबाइल चाहिए तो रात में मेरे फ्लैट पर आना पड़ेगा।” पीड़िता का कहना है कि वह घबरा गई और अपने सहकर्मी के माध्यम से अपने पति को इसकी जानकारी दी जिन्होंने शाम को स्कूल जाकर प्रिंसिपल से बात करने की कोशिश की लेकिन डीन को पता लग गया। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने उन्हें किसी पूर्व नोटिस के बिना स्कूल से निकाल दिया।
शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाता था आरोपी
पीड़िता के अनुसार, वह वर्ष 2019 से स्कूल में बतौर अध्यापिका कार्यरत थीं। तहरीर में पीड़िता ने दावा किया है कि पूरी घटना स्कूल के सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड है और डीन पहले भी शिक्षिकाओं पर शारीरिक संबंध के लिए दबाव बनाते रहे हैं, तथा विरोध करने पर शिक्षिकाओं को नौकरी से निकाल दिया जाता है। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि स्कूल की प्रिंसिपल इस पूरे कृत्य में डीन का साथ देती हैं और ऐसे मामलों में कार्रवाई की जगह पीड़िता को ही नौकरी से निकाल दिया जाता है। इस मामले में स्कूल प्रबंधन का पक्ष अभी तक सामने नहीं आया है।