Edited By Mamta Yadav,Updated: 05 Jun, 2024 11:50 PM
लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के निराशाजनक प्रदर्शन के बीच नगीना सीट पर जीत हासिल कर चंद्रशेखर दलित सियासत का नया चेहरा बन कर उभरे हैं।
Saharanpur News: लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के निराशाजनक प्रदर्शन के बीच नगीना सीट पर जीत हासिल कर चंद्रशेखर दलित सियासत का नया चेहरा बन कर उभरे हैं।
चंद्रशेखर ने मायावती की बढ़ा दी टेंशन
सहारनपुर के कस्बा छुटमलपुर निवासी एक शिक्षक के पुत्र चंद्रशेखर ने कुछ सालों पहले भीम आर्मी नामक सामाजिक संगठन की स्थापना की थी और बाद में सियासी थपेड़ों ने उन्हें आजाद समाज पार्टी नाम की राजनीतिक पार्टी खड़ी करने को मजबूर किया। उन्होंने गैर भाजपाई दलों से टिकट लेने की कोशिश की लेकिन उन्हें अपना उम्मीदवार बनाने को अखिलेश यादव, राहुल गांधी और मायावती कोई तैयार नहीं हुआ। उनकी हिम्मत ने जवाब नहीं दिया और वह आज जब सियासी दलों का समाज पर जबरदस्त वर्चस्व बना हुआ है तब बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदने का साहस दिखाया और 511812 मतदाताओं ने उन्हें लोकसभा में प्रवेश दिला दिया। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार एवं विधायक ओम कुमार को 262061 के भारी अंतर से पराजित किया।
इमरान मसूद की जीत में भी चंद्रशेखर का बड़ा रोल
गौरतलब है कि चंद्रशेखर बाबा साहब के मिशन को आगे ले जाने और दलितों, वंचितों, शोषितों की आवाज बनने का भरोसा दिलाते हुए राजनीति शुरू की। उन्होंने मायावती को बड़ी नेता बताकर खुद को उनके बाद का दलित नेता तक सोशल मीडिया पर करार दिया था। युवाओं के साथ समाज में चंद्रशेखर की लोकप्रियता लगातार बढ़ने लगी। मायावती ने चंद्रशेखर को दलित नेता का तमगा न देते हुए किनारा कर लिया। चंद्रशेखर ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी लोकसभा चुनाव में सीट की पेशकश की, लेकिन उन्होंने भी दरकिनार कर दिया। अपनी पार्टी के बूते चुनाव में उतरे चंद्रशेखर ने मजबूत जीत हासिल की। चंद्रशेखर की जीत को दलित सियासत के लिए बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इसी के साथ इमरान मसूद की जीत में भी चंद्रशेखर का बड़ा रोल माना जा रहा है।