अजय माकन ने केंद्र पर साधा निशाना, कहा- सार्वजनिक उपक्रमों को किराए के भाव बेच रही सरकार

Edited By Ramkesh,Updated: 07 Sep, 2021 05:16 PM

the government is selling psus at the rate of rent

कांग्रेस के महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने केंद्र सरकार की ‘नेशनल मोनेटाइजेशनपाइपलाइन’को लेकर केन्द्र सरकार जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जनता की कमाई से पिछले 60 साल में बनाए गए सार्वजनिक उपक्रमों को किराए के भाव पर...

लखनऊ: कांग्रेस के महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने केंद्र सरकार की ‘नेशनल मोनेटाइजेशनपाइपलाइन’को लेकर केन्द्र सरकार जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जनता की कमाई से पिछले 60 साल में बनाए गए सार्वजनिक उपक्रमों को किराए के भाव पर बेचने पर आमादा है।  उन्होंने कहा कि सबसे चौंकाने वाली और संदेह में डालने वाली बात यह है कि यह सभी कुछ ‘गुपचुप तरीके से’ तय किया गया।  इसके बाद इस निर्णय की घोषणा भी ‘अचानक से’ की गई, जिससे सरकार की नीयत पर शक गहराया है।

चुनिंदा उद्योगपति दोस्तों को कारोबार और व्यापार में एकाधिकार  दे रही सरकार
उन्होंने कहा कि एनडीए की तुलना अगर यूपीए से ढांचागत आधार के सृजन को लेकर की जाए तो यूपीए के मुकाबले एनडीए का रिकॉर्ड काफी खराब है। पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर जो भी भाषण दिए हैं। उनका मुख्य केंद्र मुख्य रूप से ढांचागत आधार ही रहा है, लेकिन एनडीए सरकार की इस बिंदु पर अगर यूपीए से तुलना की जाए तो एनडीए का रिकार्ड खराब है 12वीं योजना योजना काल के दौरान ढांचागत आधार में निवेश को 36 लाख करोड़ रुपए समग्रित पर आंका गया। उन्होंने बताया  जीडीपी का 5.8 प्रतिशत औसत है। वित्तीय वर्ष 2018 और 2019 में यह अनुमान 10 लाख करोड़ पर आ गया।“12वीं योजना काल जो 2012  से2017 के बीच था।  उस दौरान औसतन 7.20 लाख करोड़ सालाना ढांचागत आधार पर निवेश किया जा रहा था शासन काल में 5 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। इससे सभी लोगों की उस शंका को बल मिलता है कि सरकार कामुख्य मुद्दा ढांचागत आधार को बेहतर करना नहीं है, इसका मुख्य उद्देश्य कुछ चुनिंदा उद्योगपति दोस्तों को उनके कारोबार और व्यापार में एकाधिकार का अवसर प्रदान करना है। बाजार में चुनिंदा कंपनियों की मनमर्जी कायम हो जाएगी, सरकार भले कहती रहेगी की निगरानी के सौ तरह के उपाय हैं, उसके लिए नियामक संस्थाएं हैं, लेकिन सच इसके विपरीत है, यह हम सीमेंट के क्षेत्र में देख सकते हैं, जहां पर दो तीन कंपनियों का एकाधिकार है वही बाजार में भाव को तय करते है।  सरकार के तमाम नियामक प्राधिकरण और मंत्रालय उनके सामने असहाय नजर आते हैं, इससे विभिन्न क्षेत्रों में मूल्य निर्धारण और गठजोड़ बढ़ेगा। एनएमपी परिसंपत्तियों के ‘सांकेतिक मुद्रीकरण मूल्य’अत्याधिक कम मूल्य पर सरकार ने 12 मंत्रालयों के 20 परिसंपत्तियों का वर्गीकरण करते हुए इन्हें निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए चिन्हित किया है, इनका सांकेतिक मौद्रिक मूल्य सरकार ने 6 लाख करोड़ रुपए दर्शाता है।

आकर्षक रेलवे स्टेशनों को बिक्री के लिए चुना गया
एक बार निजीकरण हो जाने के बाद लाभ कमाने वाले सभी रूट निजी क्षेत्र को सौंप दिए जाएंगे, जबकि घाटे में चलने वाले रूट और छोटे स्टेशन को सरकार चलाएगी, जहां पर सरकार पैसे की कमी का हवाला देते हुए उदासीन बनी रहेगा, इससे इन स्टेशनों और लाइनों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को हमेशा बदतर सेवाओं के साथ ही रहना होगा। जिन 10 रेलवे स्टेशनों को बिक्री के लिए चुना गया है,यह सभी निवेश के लिहाज से आकर्षक रेलवे स्टेशन हैं। लिहाजा बाकी के स्टेशनों पर और दूसरे रेल मार्ग, जहां गरीब ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उन सब पर कोई ध्यान नहीं देगा।

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