Edited By Imran,Updated: 25 Oct, 2024 02:31 PM
जिले के राजकीय मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से इलाज न मिलने के कारण बुखार से पीड़ित पांच वर्षीय एक बच्ची की मौत मामले में दो संविदा चिकित्सकों की सेवा समाप्त कर दी गयी और दो चिकित्सकों को निलंबित कर दिया गया। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
बदायूं : जिले के राजकीय मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से इलाज न मिलने के कारण बुखार से पीड़ित पांच वर्षीय एक बच्ची की मौत मामले में दो संविदा चिकित्सकों की सेवा समाप्त कर दी गयी और दो चिकित्सकों को निलंबित कर दिया गया। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
परिजनों ने आरोप लगाया था कि बच्ची की मौत इसलिए हुई क्योंकि चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मचारी इलाज करने के बजाय क्रिकेट खेलने में व्यस्त थे। इस घटना के बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ अरुण कुमार ने शुक्रवार को बताया कि इस मामले में उन्होंने बुधवार को ही एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी जिसने बृहस्पतिवार की देर शाम अपनी रिपोर्ट उन्हें सौंप दी। कुमार ने बताया कि रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि घटना के समय चिकित्सक अपनी ड्यूटी छोड़कर क्रिकेट मैच खेल रहे थे जिसके आधार पर कॉलेज प्रशासन की ओर से सख्त कार्रवाई की गई है।
डॉ. कुमार ने बताया कि लापरवाही के आरोप में नाक, कान और गला (ईएनटी) रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. शलभ वैश्य और ईएनटी विभाग की कनिष्ठ चिकित्सक (नॉन बॉन्ड) डॉ. दिव्यांशी शर्मा की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। उन्होंने दोनों की नियुक्ति संविदा पर थी। प्राचार्य ने बताया कि ईएनटी विभाग के डॉ अभिषेक शर्मा और बाल रोग विभाग के डॉ. इमरान को एक-एक माह के लिए निलंबित किया गया है। डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि निलंबित और सेवा समाप्त किए गए चिकित्सक क्रिकेट नहीं खेल रहे थे, केवल क्रिकेट मैच की प्रतियोगिता को देखने गए थे किंतु ड्यूटी के समय अन्य कामों में लिप्त रहना घोर लापरवाही की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि जिले के मूसाझाग थाना क्षेत्र के थलिया नगला के निवासी नाजिम बुखार की शिकायत होने पर अपनी बेटी सोफिया को बुधवार दोपहर मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे थे। प्राचार्य ने कहा, ‘‘नाजिम ने आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विशेषज्ञ मौजूद नहीं था।
बाद में स्वास्थ्य कर्मियों ने बच्ची को इलाज के लिये अलग-अलग कमरों में भेजा लेकिन वहां कोई भी चिकित्सक या कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसी दौरान बच्ची की मौत हो गयी।'' नाजिम ने दावा किया कि जब उन्होंने मेडिकल कॉलेज के बाहर आकर देखा तो चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी क्रिकेट खेल रहे थे। आरोप है कि काफी मिन्नत करने और गिड़गिड़ाने के बावजूद किसी भी चिकित्सक या स्वास्थ्यकर्मी ने बच्ची का इलाज नहीं किया और लगभग तीन घंटे तक तड़पने के बाद सोफिया ने अपनी मां की गोद में ही दम तोड़ दिया।