Edited By Ramkesh,Updated: 25 Sep, 2024 03:55 PM
भारतीय किसान यूनियन के नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बीजेपी सांसद कंगना रनौत के बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कंगना के निजी विचार बहुत हैं। टिकैत ने कहा कि कंगना में बचपना बहुत है और उनके बयान से भारतीय जनता पार्टी को...
लखनऊ: भारतीय किसान यूनियन के नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बीजेपी सांसद कंगना रनौत के बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कंगना के निजी विचार बहुत हैं। टिकैत ने कहा कि कंगना में बचपना बहुत है और उनके बयान से भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हो सकता है। उधर कंगना ने कहा कि उनका बयान निजी है, मेरा बयान पार्टी का रुख नहीं है। अभिनय से राजनीति में आईं कंगना ने कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि वह अब केवल कलाकार ही नहीं, बल्कि भाजपा सदस्य भी हैं एवं उनका बयान अपनी पार्टी की नीतियों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने विवादास्पद कानूनों पर अपने बयान से संभवत: कई लोगों को निराश किया है और उन्हें इस बात पर खेद है।
भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई ने भी मंडी की सांसद रनौत के बयान से दूरी बना ली है। रनौत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘ किसान कानूनों पर मेरे विचार निजी हैं और इन विधेयकों पर पार्टी के रूख को नहीं प्रदर्शित करते हैं।'' उन्होंने ‘एक्स' पर अपना एक वीडियो बयान भी जारी किया जिसमें उन्होंने कहा,‘‘ जब किसानों के कानूनों का प्रस्ताव आया, तब हममें से कई ने उनका समर्थन किया। लेकिन बहुत ही संवेदनशीलता एवं सहानुभूति से हमारे सम्मानीय प्रधानमंत्री ने उन कानूनों को वापस ले लिया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह अवश्य याद रखना चाहिए कि मैं अब एक कलाकार ही नहीं, बल्कि भाजपा की एक सदस्य भी हूं और मेरे विचार निजी नहीं बल्कि पार्टी का रुख प्रतिबिंबित करने वाले होने चाहिए।
रनौत ने 68 सेकंड के इस वीडियो में कहा, ‘‘ यदि मैंने अपने शब्दों एवं विचारों से किसी को निराश किया है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।'' उन्होंने मंडी में मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि इन तीन कृषि कानूनों का केवल कुछ राज्यों में विरोध हुआ। उन्होंने कहा था, ‘‘ किसान भारत की प्रगति के शक्तिस्तंभ हैं। केवल चंद राज्यों में ही उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध किया। मैं हाथ जोड़कर अपील करती हूं कि किसानों के हित में इन कृषि कानूनों को वापस लाया जाए।
गौरतलब है कि ये कानून जून 2020 में लागू हुए थे और नवंबर 2021 में निरस्त कर दिए गए। पिछले महीने भी भाजपा को किसान प्रदर्शन के बारे में रनौत के एक बयान को लेकर दूरी बनानी पड़ी थी। रनौत ने कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान शव लटके हुए पाये गये और बलात्कार किये गये थे। भाजपा ने उनके बयान की निंदा की थी और स्पष्ट किया था कि पार्टी के नीतिगत मामलों पर टिप्पणी करने की उन्हें न तो अनुमति दी गयी है और न ही उन्हें अधिकृत किया गया है। सत्तारूढ़ दल ने तब एक बयान में कहा था, ‘‘भारतीय जनता पार्टी ने कंगना रनौत को भविष्य में इस प्रकार का कोई बयान नहीं देने का निर्देश दिया है।