Edited By Imran,Updated: 21 Feb, 2025 12:19 PM
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यूपी के कुशीनगर जिले की मदनी मस्जिद के के पक्षकार शाकिर खान की हार्ट अटैक से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि साकिर खान को बीते गुरुवार की शाम हार्ट अटैक आया था। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए लखनऊ रेफर कर दिया गया था,
Kushinagar Madani Masjid: यूपी के कुशीनगर जिले की मदनी मस्जिद के के पक्षकार शाकिर खान की हार्ट अटैक से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि साकिर खान को बीते गुरुवार की शाम हार्ट अटैक आया था। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए लखनऊ रेफर कर दिया गया था, जहां एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वहीं, साकिर खान की मौत के बाद उनके परिजनों ने कहा है कि मदनी मस्जिद पर हुई बुलडोजर की कार्रवाई से गहरे सदमे में थे।
आपको बता दें कि बीते 9 फरवरी को मदनी मस्जिद प्रशासन के बुलडोजरों की जद में था, 4-5 बुलडोजर से मस्जिद का कुछ हिस्सा गिरा दिया गया था। इस दौरान 13 थानों की 120 से अधिक पुलिस फोर्स मौजूद थी। चार नगर पंचायत और दो नगर पालिकाओं की जेसीबी मशीनें लगाई गईं। एसडीएम और सीओ कसया के नेतृत्व में कुल 9 मशीनों से कार्रवाई की गई।
9 फरवरी को दाखिल की गई थी याचिका
मस्जिद के पक्षकार जाकिर अली ने 9 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन जानबूझकर मस्जिद के मामले में परेशान कर रहा है और मनमानी कर रहा है। जाकिर अली ने कहा कि मस्जिद का निर्माण उनकी और उनकी मां की भूमि पर हुआ है, जो राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। उन्होंने बताया कि मस्जिद के निर्माण से पहले प्रशासन ने राजस्व टीम द्वारा पैमाइश करवाई थी और इसके बाद नगर पालिका ने नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है। लेकिन मस्जिद समिति ने इसका जवाब देते हुए यह बताया कि मस्जिद निर्माण में एक इंच भी सरकारी भूमि का प्रयोग नहीं हुआ था।
प्रशासन ने नहीं दिया स्पष्टीकरण पर ध्यान
इसके बावजूद प्रशासन ने मस्जिद समिति द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण नहीं माना और बिना किसी पूर्व सूचना के 9 फरवरी को बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ मस्जिद के दक्षिणी हिस्से को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की इस कार्रवाई को वर्ष 2022 और 13 नवंबर 2024 के अपने आदेश का उल्लंघन मानते हुए गंभीर नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने जिलाधिकारी के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया और उनसे दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। इस मामले में अब प्रशासन को यह बताना होगा कि उनके द्वारा की गई कार्रवाई का सही कानूनी आधार क्या था और क्या मस्जिद को गिराने के निर्णय में कोई वैधता थी या नहीं।