Edited By Deepika Rajput,Updated: 19 Sep, 2019 05:19 PM
सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर हुए जमीन आवंटन को लेकर सुस्त रवैया अपनाने के चलते उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप पिछले 26 साल से सो रहे थे। बता दें कि, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 1994 के बाद रेणुकूट-मिर्जापुर में वन...
लखनऊः सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर हुए जमीन आवंटन को लेकर सुस्त रवैया अपनाने के चलते उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 1994 के बाद रेणुकूट-मिर्जापुर में वन भूमि पर हुए जमीन रद्द करने की मांग की थी। उनका कहना था कि 1994 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाए बैन के बावजूद फॉरेस्ट अफसर, डिस्ट्रिक्ट जज जमीन आवंटन का आदेश देते रहे और वन भूमि का अतिक्रमण करके इंडस्ट्री, फैक्ट्री, एनटीपीसी और विद्युत निगम के प्लांट बना दिए गए। कोर्ट ने इतने वक्त बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई।
जस्टिस अरुण मिश्रा ने जताई नाराजगी
जस्टिस अरुण मिश्रा ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप पिछले 26 साल से सो रहे थे। आप सोते ही रहिए, इसके गंभीर दुष्परिणाम होंगे। अभी तक आपके अधिकारी आवंटन के आदेश पास कर रहे थे। क्या आपका अपने ही अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं है। मिश्रा ने कहा कि आप चाहते हो कि बिना दूसरे पक्ष को सुने हम पिछले 26 सालों में आपके अधिकारियों की ओर से पास किए गए जमीन आवंटन को एकाएक रद्द कर दे, जो वहां इतने दिनों से है। हम उन्हें यूं ही नहीं हटा सकते। हमे उनको नोटिस देना होगा।
कोर्ट ने आवंटियों की मांगी लिस्ट
यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि कि वन भूमि पर 1100 इंडस्ट्री/लोगों ने जमीन को लेकर दावा पेश किया, जिसे वन अधिकारियों ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या आपके पास उन लोगों की लिस्ट मौजूद है, जिनको जमीन का आवंटन हुआ है। यूपी सरकार की ओर से बताया गया कि अभी पूरी लिस्ट मौजूद नहीं है। कोर्ट ने यूपी सरकार से 1 हफ्ते में उन तमाम इंडस्ट्री की लिस्ट देने को कहा है, जिनको वन भूमि पर जमीन आवंटित की गई थी।