Edited By Imran,Updated: 14 May, 2024 05:08 PM
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पूर्वांचल यूपी का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है, इसके अंतर्गत आने वाले 17 लोकसभा सीटों की एक अलग सियासी पहचान है। यहां पर चुनावों में माना जाता है कि जनता के लिए बिरादरी फर्स्ट, पार्टी सेकेंड और मुद्दा लास्ट होता है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो...
Lok Sbha Election 2024: पूर्वांचल यूपी का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है, इसके अंतर्गत आने वाले 17 लोकसभा सीटों की एक अलग सियासी पहचान है। यहां पर चुनावों में माना जाता है कि जनता के लिए बिरादरी फर्स्ट, पार्टी सेकेंड और मुद्दा लास्ट होता है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो पूर्वांचल में रोजगार, विकास, आरक्षण या कोई दूसरा मुद्दा क्यों न हो सबका जवाब जातियों से ही दिया जाता है।
पिछड़ी, अति पिछड़ी, सवर्ण, दलित और MY समीकरण को पूर्वांचल अपने आप में समेटा हुआ है, आप यह भी कह सकते हैं कि पूर्वांचल ने प्रदेश को जाति आधारित नेताओं को जन्म दिया जो आज सरकार में सहभागी बने हुए हैं। आप गोरखपुर के ग्रामीण और संतकबीरनगर में देख सकते हैं कि निषाद जाति की मौजूदगी है, उधर, जौनपुर, आजमगढ़, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, वाराणसी में समुदाय की उपजातियां जैसे मांझी, केवट, बिंद, मल्लाह मिलती हैं ये मछुआरों और नाविक समुदाय के लोग हैं।
चुनावों के नतीजों को तय करने वाले जाति
पूर्वांचल में गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित को भी कई इलाकों में प्रभावशाली माना जाता है, जिनमें राजभर, कुर्मी, मौर्य, चौहान, पासी, और नोनिया समाज आता है जो अक्सर चुनावों के नतीजों को तय करने का काम करते हैं। राजभर समुदाय राज्य के लगभग कुल मतदाताओं का केवल 4% है, लेकिन पूर्वांचल के कई जिलों खासतौर पर वाराणसी, आज़मगढ़, जौनपुर, मऊ, बलिया में इसके 12% से 23% वोटर हैं।
इसी तरह से पूर्वांचल में अपना दल की भी पकड़ है, अपना दल की राजनीतिक नीव कुर्मी समाज के उपर तैयार किया गया है। आपको बता दें कि कुर्मी समाज यहा कि आबादी का 9 प्रतिशत है जो यादवों के बाद दूसरा सबसे बड़ा OBC का हिस्सा हैं। अब इस समाज के नाम पर यहा दो पार्टियां राजनीति करती हैं। एक है अपना दल (कमेरावादी) जो कि हाल ही में सीटों की मांग को लेकर INDIA' गठबंधन का साथ छोड़ दिया है तो वहीं एक दूसरी पार्टी अपना दल (सोनेलाल ) है जो कि पिछले चुनावों से भाजपा के साथ है। वहीं जाती को साधते हुए एक और जनवादी पार्टी है जो कि नोनिया समुदाय पर प्रभाव रखती है। यूपी की आबादी का लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा. चंदौली, मऊ, गाज़ीपुर और बलिया जैसे पूर्वी यूपी के कुछ जिलों में 10- 15% वोटर हैं।
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इस बार के चुनाव में आज़मगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर में लड़ाई बराबर की होने वाली है, क्योंकि यूपी में लगभग 20% आबादी मुस्लिमों की है और सबसे ज्यादा इनकी जनसंख्या इन्ही इलाकों में है इसके साथ ही इन इलाकों में MY समीकरण चलता है, और दावेदारी SP और BSP की होती है। बलिया विपक्ष की लिस्ट में इसलिए शामिल है क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी से SP की हार का अंतर बहुत कम था। फिलहाल इन सभी सीटों पर सातवें चरण में 1 जून को मतदान होना है और 4 जून को जनता के मनसूबे साफ हो जाएंगे।