शौचालयों की व्यवस्था ना होने से आज भी सिर पर मैला ढ़ोने की कुप्रथा जारी

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 20 Jul, 2018 11:16 AM

human defecation are carrying

स्वच्छ भारत मिशन के तहत मोदी सरकार ने 2019 तक पूरी तरह से भारत काे खुले में शाैंच मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने इस अभियान काे तेजी से आगे बढ़ाया है। बड़ी मात्रा में शाैचालयाें का निर्माण भी हाे चुका है आै...

जालौनः स्वच्छ भारत मिशन के तहत मोदी सरकार ने 2019 तक पूरी तरह से भारत काे खुले में शाैंच मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने इस अभियान काे तेजी से आगे बढ़ाया है। बड़ी मात्रा में शाैचालयाें का निर्माण भी हाे चुका है आैर जारी भी है। कई जगह एेसे भी हैं जहां शाैचालयाें का निर्माण सिर्फ नाम मात्र के लिए हुआ है। जिसकी वजह से इन जगहाें पर आज भी सिर पर मैला ढ़ाेने की कुप्रथा आज भी संचालित हाे रही है जाे सरकार आैर समाज के लिए कलंक है। 

जानिए पूरा मामला 
जी, हां एेसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के जालौन में सामने आया है। जहां वाल्मीकि समाज की एक पूर्व महिला प्रधान ने अपने पति के साथ डीएम कार्यालय पहुंचकर इस घृणित कार्य से मुक्ति तथा पुनर्वास की मांग की है।

आज भी मैला ढोना की कुप्रथा जारी 
जालौन के कदौरा ब्लाक के गर्रेही निवासी पप्पू ने बताया कि अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए वह अपनी पत्नी सहित आज भी मैला ढो़ने का कार्य करते हैं। साथ ही सीवर टैंकों की सफाई बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के करनी पड़ती है।

मामले की होगी जांच
मामले को लेकर जब जिला पंचायत राज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में अभी आया है। जिसकी जांच एडीओ पंचायत द्वारा जांच कराई जाएगी। उसके बाद ही ऐसी घटनाओं काे राेकने के लिए कदम उठाया जाएगा।

उठता है ये सवाल
एेसे में सवाल उठना लाजमी है कि महिलाओं और समाज के इस तबके की हालात देखकर पता चलता है कि जिले में स्वच्छता मिशन किस ओर जा रहा है। केंद सरकार और यूपी सरकार का स्वच्छ भारत मिशन केवल कागजों में ही सिमट कर रह गया है।


 

 

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