NEERI को HC ने दिया नोटिस, गंगा-यमुना में परियोजनाओं की मांगी जानकारी

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 30 Jan, 2021 01:02 PM

hc gives notice to neeri information about projects in ganga yamuna

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गंगा-यमुना प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय पर्यावरण अभियंत्रण शोध संस्थान को नोटिस जारी की है और गंगा मे गिरने वाले छह नालों के

प्रयागराज:  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गंगा-यमुना प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय पर्यावरण अभियंत्रण शोध संस्थान को नोटिस जारी की है और गंगा मे गिरने वाले छह नालों के शोधन प्रक्रिया की जानकारी मांगी है। न्यायालय ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि क्या गंगा नदी बेसिन संरक्षण परियोजना पर विचार कर रही आईआईटी कंसोटिर्यम ने कोई रिपोर्ट दी है। अगर दी है तो कोर्ट में दाखिल की जाय। साथ ही यह भी बताये कि गंगा यमुना मे न्यूनतम 50 फीसदी जल बहाव बनाये रखने के क्या कदम उठाये है। यदि किसी परियोजना पर काम चल रहा हो तो पूरी जानकारी दी जाये।    

   गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई कर रही न्यायधीश मनोज कुमार गुप्ता,न्यायधीश सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायधीश अजित कुमार की पूर्णपीठ ने प्रयागराज मे गंगा यमुना मे सीधे गिर रहे नालो एवं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति का मौका मुआयना कर रिपोर्ट पेश करने के लिए अधिवक्ताओं की टीम गठित की है तथा जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को इन्हे सहयोग प्रदान करने का निर्देश दिया है।  न्यायालय द्वारा गठित समिति में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण कुमार गुप्ता, प्रदूषण नियंत्रण बो्ड के अधिवक्ता डा एच एन त्रिपाठी, केन्द्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी व राज्य सरकार के अधिवक्ता मनु घिल्डियाल शामिल है जिन्हें शहर के नालों व एस टी पी की अद्यतन स्थिति पर रिपोटर् पेश करने का निर्देश दिया गया है।       

कोटर् ने नगर आयुक्त नगर निगम प्रयागराज को गंगा यमुना मे सीधे गिर रहे नालो का बायो -रेमेडियेशन तकनीक के जरिये शोधन करने वाली प्राइवेट एजेन्सियों के साथ हुए करार की प्रति तथा अब तक इन्हें दिये गये धन का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया है और पूछा है कि इनकी मानीटरिंग कैसे की जा रही है। नालों के शोधन के लिए ये माइक्रोवेल कंसोटिर्या की कितनी मात्रा मिला रहे है। हालांकि कि याची अधिवक्ता ने इसे पेपर वकर् करार देते हुए कहा कि कोई शोधन नही किया जा,रहा, गंदे नाले सीधे गंगा यमुना मे गिर रहे है। 

अदालत ने याची अधिवक्ता से इस पर विशेषज्ञों की रिपोटर् पेश करने की छूट दी है कि क्या बायो रेमेडियेशन गंदे नाले शोधित करने में उपयोगी तकनीक है। कोटर् ने राज्य सरकार से अपर सचिव रैक के अधिकारी के हलफनामे के साथ यह बताने का निर्देश दिया है कि प्रयागराज में बचे 42 नालों को कितने समय में एसटीपी से जोड़ देगे। साथ ही यह भी बताये कि कितने एस टी पी सही काम कर रहे है और कितने नाले बिना शोधित सीधे गंगा यमुना मे गिर रहे है।      

 

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