Edited By Imran,Updated: 29 Apr, 2024 12:46 PM
पिछले 2 सालों से निष्कासित चल रहे पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह को भाजपा ने फिर से पार्टी का सदसस्य बना दिया है। दो साल पहले 2022 में पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया था। दरअसल, यशवंत सिन्हा ने एमएलसी चुनाव में आजमगढ़- मऊ सीट से...
लखनऊ: पिछले 2 सालों से निष्कासित चल रहे पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह को भाजपा ने फिर से पार्टी का सदसस्य बना दिया है। दो साल पहले 2022 में पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया था। दरअसल, यशवंत सिन्हा ने एमएलसी चुनाव में आजमगढ़- मऊ सीट से बीजेपी कैंडिडेट अरुणकांत यादव के खिलाफ अपने बेटे विक्रांत सिंह उर्फ रिशू को उतार दिया था।
कयास लगाया जा रहा था कि विक्रांत अपना नामांकन वापस ले सकते हैं, लेकिन उन्होंने वापस नहीं लिया। बीजेपी ने इसे अनुशासनहीनता माना और यशवंत सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर दी। अरुणकांत यादव बाहुबली सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे हैं। उनके खिलाफ बेटे को निर्दल उतारने पर बीजेपी ने यशवंत सिंह के खिलाफ कार्रवाई की थी। इसके अलावा उन पर पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार करने का आरोप लगा था। तत्कालीन यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के निर्देश पर यशवंत सिंह को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था।
इन सभी पार्टियों में सफर किए यशवंत सिंह
गौरतलब है कि यशवंत सिंह पहले समाजवादी पार्टी में थे, लेकिन 2017 में बीजेपी की सरकार बनने पर वह भगवा दल के खेमे में आ गए। बीजेपी ने उन्हें तोहफा देते हुए तत्काल एमएलसी भी बना दिया था। सपा से पहले यशवंत सिंह बसपा में भी रह चुके हैं। उन्होंने 1996 में बसपा और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनवाई थी। दोनों दलों में छह छह महीने सरकार चलाने का समझौता हुआ था, लेकिन छह महीने बाद ही बसपा ने गठबंधन तोड़ दिया था।