Politics News: यादवलैंड में चार दशक से कांग्रेस को जीत की तलाश, किसी जमाने में हुआ करता था मजबूत किला

Edited By Ramkesh,Updated: 28 Mar, 2024 06:13 PM

congress has been searching for victory in yadavland for four decades

‘यादव लैंड' के रूप में पहचान रखने वाले पश्विमी उत्तर प्रदेश के इटावा,मैनपुरी,कन्नौज,एटा, फिरोजाबाद और फरुर्खाबाद एक जमाने में कांग्रेस का मजबूत किला हुआ करते थे लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इन क्षेत्रों में देश के सबसे...

इटावा: ‘यादव लैंड' के रूप में पहचान रखने वाले पश्विमी उत्तर प्रदेश के इटावा,मैनपुरी,कन्नौज,एटा, फिरोजाबाद और फरुर्खाबाद एक जमाने में कांग्रेस का मजबूत किला हुआ करते थे लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इन क्षेत्रों में देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के दुर्दिन शुरु हो गये जिससे पार्टी आज तक उबर नहीं सकी है।  कांग्रेस के बाद लंबे समय से इन संसदीय क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी (सपा) का सिक्का चला जिस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सेंधमारी एक हद तक सफल रही है जबकि बदले हुए हालात में कांग्रेस चार दशकों में इन सीटों पर जीत के लिए तरस रही है। ऐसे में इंडिया गठबंधन वाकई में कितना प्रभावी हो पायेगा यह सवाल अब खड़े होना शुरू हो गए है।  

  एक नजर चुनाव के आंकड़े पर 
चुनाव आयोग के आंकड़े ऐसा बताते है कि 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी लहर के बाद इटावा से काग्रेंस के चौधरी रधुराज सिंह को 1984 मे विजय मिली थी। इंदिरा लहर का असर यह हुआ कि काग्रेंस के चौधरी रधुराज सिंह को एक लाख 84 हजार चार को चार मत मिले जब की उनके करीबी प्रतिदंदी लोकदल के धनीराम वर्मा को 161336 मत मिले । इस तरह से चौधरी रधुराज सिंह 23068 मतो से विजयी घोषित किये गये।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद काग्रेंस को विजय मिली
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यह एक ऐसा चुनाव था जिसमे काग्रेंस को विजय मिली लेकिन उसके बाद काग्रेंस आज तक जीत के लिए तरस रही है। सबसे हैरत की बात यह है कि इस चुनाव के बाद समाजवादी गढ़ में काग्रेंस का जनाधार धरासाई होता चला गया। अगर इंदिरा लहर की बात करे तो इटावा के आसपास कन्नौज सीट से काग्रेस से शीला दीक्षित,फरूर्खाबाद से खुर्शीद आलम खान, मैनपुरी से बलराम सिंह यादव,जलेसर से कैलाश यादव,फिरोजाबाद से गंगाराम और एटा से लोकदल के महफूज अली को जीत मिली थी।    

1984 में समाजवादी पार्टी की जड़े इतनी मजबूत
1984 मे समाजवादी पार्टी की जड़े इतनी मजबूत थी कि एटा मे कांग्रेस के मुशीर खां मुलायम के सिपहसालार लोकदल के महमूद अली से चित हो गये। इंदिरा लहर मे समाजवादी गढ में काबिज हुई काग्रेंस मंडल चमत्कार मे बुरी तरह से ध्वस्त हो गई। 1989 के चुनाव मे मंडल लहर चरम पर हो चुकी थी ऐसे मे इटावा संसदीय चुनाव मे जनता दल से राम सिंह शाक्य 214264 ने कांग्रेस के सत्यनारायण दुबे 171249 को पराजित करने मे कामयाबी पाई। कुछ ऐसा ही कन्नौज की सीट पर हुआ जहा पर काग्रेंस की शीला दीक्षित को जद के छोटे सिंह यादव ने पराजित कर दिया। छोटे सिंह ने 220840 और शीला को 167007 मत मिले।   फरूर्खाबाद मे जनता दल के संतोष भारतीय 165452 ने काग्रेंस के सलमान खुर्शीद 157968 को हराया। मैनपुरी मे मुलायम सिंह यादव के गुरू और जनता दल के प्रत्याशी उदय प्रताप सिंह 239660 ने कांग्रेस के कैलाश चंद्र यादव 155369 को पराजित किया। जलेसर मे जनता दल के मुलतान सिंह 221590 ने काग्रेंस के कैलाश यादव 123694 को पराजित किया।

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