लोकसभा चुनाव से पहले बसपा दिखाएगी ताकत, कांशीराम की पुण्यतिथि पर कल करेगी सम्मेलन

Edited By Ramkesh,Updated: 08 Oct, 2023 03:12 PM

bsp will show strength before lok sabha elections

बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक रहे कांशीराम की पुण्यतिथि पर राजधानी लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं का एक बड़ा सम्मेलन होगा, जिसे लेकर पार्टी ने तैयारियां पूरी कर ली है। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में बसपा सुप्रीमो मायावती कार्यकर्ताओं और समर्थकों को...

लखनऊ, (अश्वनी कुमार सिंह ): बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक रहे कांशीराम की पुण्यतिथि पर राजधानी लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं का एक बड़ा सम्मेलन होगा, जिसे लेकर पार्टी ने तैयारियां पूरी कर ली है। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में बसपा सुप्रीमो मायावती कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करेगी। पार्टी सूत्रों की अयोध्या, कानपुर और लखनऊ मंडल के कार्यकर्ता कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि मायावती लोगों सभा चुनाव का मंत्र भी कार्यकर्ताओं को देगी।

कांशीराम का राजनीतिक करियर
एक घटना ने कांशीराम के जीवन को बदल दिया। उन्होंने जातिगत भेदभाव को ख़त्म करने के लिए 1964 एक दलित संगठन बनाया।   उन्होंने यह निर्णय डॉक्टर आंबेडकर की किताब "एनीहिलेशन ऑफ कास्ट" को पढ़कर लिया था. कांशीराम को  बी. आर. अम्बेडकर और उनके दर्शन ने काफी प्रभावित किया था। उसके बाद उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) का समर्थन किया था लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़े रहने के कारण उनका भंग हो गया था. इसक कारण उन्होंने 1971 में अखिल भारतीय एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक कर्मचारी संघ की स्थापना की जो कि बाद में चलकर 1978 में BAMCEF बन गया था.

  अम्बेडकरवादी सिद्धांतों का समर्थन करने वाले को संगठित किया 
 BAMCEF एक ऐसा संगठन था जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य वर्गों और अल्पसंख्यकों के शिक्षित सदस्यों को अम्बेडकरवादी सिद्धांतों का समर्थन करने के लिए राजी करना था  BAMCEF न तो एक राजनीतिक और न ही एक धार्मिक संस्था थी और इसका अपने उद्देश्य के लिए आंदोलन करने का भी कोई उद्देश्य नहीं था। उन्होंने संगठन ने दलित समाज के उस संपन्न तबके को इकठ्ठा करने का काम किया जो कि ज्यादातर शहरी क्षेत्रों, छोटे शहरों में रहता था और सरकारी नैकारियों में काम करता तह साथ ही अपने अपने अछूत भाई बहनों से भी किसी तरह के संपर्क में नहीं था।

1984 बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की
 कांशीराम साहब ने 1981 में एक और सामाजिक संगठन बनाया, जिसे दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएसएसएस,DSSS या DS4) के नाम से जाना जाता है। उन्होंने दलित वोट को इकठ्ठा करने की अपनी कोशिश शुरू की और 1984 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की। उन्होंने अपना पहला चुनाव 1984 में छत्तीसगढ़ की जांजगीर-चांपा सीट से लड़ा था, बीएसपी को उत्तर प्रदेश में सफलता मिली, शुरू में दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के बीच विभाजन को पाटने के लिए संघर्ष किया,लेकिन बाद में मायावती को उन्होंने अपना उत्तरा अधिकारी घोषित कर दिया। मायावती के नेतुत्च में उत्तर प्रदेश में बसपा ने 4 बार सरकार बनाई। अब देखना हो कि कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती 2024 लोक सभा चुनाव के पार्टी कार्यकतााओं और समर्थकों को क्या संदेंश देती है।

 

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