Edited By Ramkesh,Updated: 25 Oct, 2022 07:08 PM

उत्तर प्रदेश में इस्लामिक शिक्षण संस्थाओं को बेहतर संसाधनों से लैस करने की राज्य सरकार की योजना के तहत प्रदेश के सभी मदरसों के सर्वेक्षण में सहरनपुर जिले के 306 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाए गए हैं। सहारनुपर जिले में कुल 1060 मदरसे है। जिनमें से 754...
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश में इस्लामिक शिक्षण संस्थाओं को बेहतर संसाधनों से लैस करने की राज्य सरकार की योजना के तहत प्रदेश के सभी मदरसों के सर्वेक्षण में सहरनपुर जिले के 306 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाए गए हैं। सहारनुपर जिले में कुल 1060 मदरसे है। जिनमें से 754 मदरसों ने उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता ली हुई है। हाल ही में मदरसों के सर्वेक्षण का काम पूरा होने के बाद जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने इसकी रिर्पोट शासन को भेज दी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में 306 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाये गये हैं। इनके बारे में शासन विचार करेगा। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी भरत लाल गौंड ने मंगलवार को बताया कि विभाग की ओर से सहारनपुर जिले में स्थित 1060 मदरसों की जांच की गई।
गौरतलब है कि सहारनपुर जिले में देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित चार मदरसे ‘मदरसा मजाहिर उलूम रजि.' और ‘मदरसा मजाहिर उलूम वक्फ', सहारनपुर नगर एवं दारूल उलूम रजि. और दारूल उलूम वक्फ देवबंद का भी संचालन होता है। उन्होंने कहा कि इन चारों मदरसों का संचालन प्रबंध समिति करती है। इन चारों बड़े मदरसों समेत गैर मान्यता प्राप्त मदरसे शासन से किसी तरह की कोई सहायता प्राप्त नहीं करते है।
दारूल उलूम देवबंद का खर्च दान और चंदे पर आधारित है। यह संस्था 29 मई 1866 को देवबंद के छत्ता मस्जिद में देवबंदी उलेमाओं द्वारा शुरू की गई थी और इसकी पूरे विश्व में ख्याति है। दुनिया भर के मुसलमान यहां से जारी फतवों का सम्मान करते है। इस संस्था ने मदरसों की जांच का समर्थन कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के फैसले का स्वागत किया था।