पंचतत्व में विलीन हुए विद्रोही कामरेड अतुल अंजान, भाषण से श्रोताओं को कर देते थे मंत्रमुग्ध

Edited By Ajay kumar,Updated: 04 May, 2024 06:20 PM

atul anjan used to mesmerize the audience with his speech

वामपंथी राजनीति में अपना एक अलग स्थान रखने वाले अतुल कुमार अंजान के शुक्रवार को निधन पर राजनीतिक दलों और तमाम सामाजिक संगठनों ने अपनी-अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं।

लखनऊ: वामपंथी राजनीति में अपना एक अलग स्थान रखने वाले अतुल कुमार अंजान शनिवार को पंचतत्व में विलीन  हो गई। शुक्रवार को निधन पर राजनीतिक दलों और तमाम सामाजिक संगठनों ने अपनी-अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। भाजपा सांसद राकेश सिन्हा, रालोद जयंत चौधरी समेत अन्य राजनेताओं एवं बुद्धिजीवियों ने शोक संवेदना प्रकट करते हुये उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। जयंत ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि अतुल अंजान के निधन से मैं स्तब्ध हूं। वो एक बहादुर और समर्पित लोक सेवक थे। मुखर और सक्रिय कम्युनिस्ट नेताओं में से एक अतुल अंजान के लिए राजधानी समेत देश के अन्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालयों में शोकसभा का आयोजन किया गया। अतुल अंजान उत्तर प्रदेश के चर्चित पुलिस-पीएसी विद्रोह के प्रमुख नेतृत्वकर्ताओं में से एक थे। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर के दौरान चार साल नौ महीने जेल में भी बिताए। उनके पिता डॉ. एपी सिंह एक अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी थे।

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भाषण से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते थे अतुल अंजान
फोन की एक घंटी पर काल रिसीव कर लेने वाले अतुल अंजान से बातचीत में कभी यह अंदाजा नहीं हुआ कि वह राष्ट्रीय स्तर के ऐसे नेता हैं जिन्होंने कम उम्र में ही बड़े कारनामे अंजाम दे दिये थे। अतुल अंजान सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव थे। अतुल अंजान लखनऊ के शायद ऐसे इकलौते छात्रनेता थे जो पढ़ते तो थे इंटर में लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय में उन्हें भाषण देने के लिए बुलाया जाता था। नेशनल इंटर कालेज से इंटर करने के बाद जब वै विश्वविद्यालय पहुंचे तो छात्रसंघ अध्यक्ष के चुनाव में खड़े हो गए। वर्ष 1978 में उनके समर्थन में मजदूरों ने बहुत बड़ी रैली निकाली। वह अपनी लोकप्रियता के बल पर लविवि छात्रसंघ अध्यक्ष बन गये।

पंचतत्व में विलीन हुए विद्रोही कामरेड अतुल अनजान, छात्र आंदोलन से शुरू हुआ  था सफर - 22Scope News

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अतुल अंजान की बहुत बड़ी भूमिका थी
भारतीय जन नाट्य संघ के (इप्टा) के राष्ट्रीय महासचिव राकेश ने बताया कि अतुल अंजान को भाषण देने में तो शुरू से ही महारत हासिल थी। यह विधा उन्हें परिवार से मिली। उनके पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे,अतुल खुद सरदार भगत सिंह के विचारों से प्रभावित थे। किसी भी शोषित के लिए संघर्ष करने के लिए वह उसके साथ खड़े हो जाते थे। हद तो यह है कि जब पीएसी ने विद्रोह किया तो अतुल अंजान पीएसी के साथ खड़े हो गए। नतीजतन उन्हें लम्बे समय तक जेल में रहना पड़ा। विश्वविद्यालय छूटा तो अतुल अंजान किसानों के नेता बन गए। आल इंडिया किसान सभा से वह उम्रभर जुड़े रहे। कम लोग जानते हैं कि किसानों के पक्ष में आई स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अतुल अंजान की बहुत बड़ी भूमिका थी।

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