Edited By Ramkesh,Updated: 09 Sep, 2023 02:19 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष नवंबर पेश की गई एसआईटी की उस रिपोर्ट को रद्द करने से इनकार कर दिया है जिसमें पाया गया था कि आजमगढ़ जिले में 313 मदरसों में से 219 केवल कागजों पर संचालित किए जा रहे हैं। न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने आजमगढ़ के...
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष नवंबर पेश की गई एसआईटी की उस रिपोर्ट को रद्द करने से इनकार कर दिया है जिसमें पाया गया था कि आजमगढ़ जिले में 313 मदरसों में से 219 केवल कागजों पर संचालित किए जा रहे हैं। न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने आजमगढ़ के दो मदरसों अंजुमन सिद्दीकी या जामिया नूरुल उलूम और एक अन्य द्वारा दायर याचिका बुधवार को खारिज कर दी। आरोप है कि कागज पर संचालित इन मदरसों ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत गलत ढंग से लाभ उठाए।
मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत मदरसों को अध्यापक और विभिन्न विषय पढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था थी। राज्य सरकार के वकील ने दलील दी कि मदरसों के खिलाफ विभिन्न शिकायतों की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी, जिसने 30 नवंबर, 2022 को अपनी रिपोर्ट पेश की और इसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति के समक्ष रखा गया।
उन्होंने कहा कि इस समिति ने 19 दिसंबर, 2022 को एक बैठक में विभिन्न मदरसों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव रखा था। वहीं, याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि मदरसे के अधिकारियों को न तो एसआईटी की जांच में शामिल होने और न ही 19 दिसंबर, 2022 को पारित प्रस्ताव से पहले अपना पक्ष रखने का कोई अवसर दिया गया।