चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, EVM और VVPAT पर सुनाया फैसला

Edited By Ramkesh,Updated: 26 Apr, 2024 03:18 PM

big relief to election commission from supreme court verdict given

EVM और VVPAT को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। वीवीपैट मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को राहत देते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से वोट डाले जाएंगे।...

लखनऊ/ दिल्ली: EVM और VVPAT को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। वीवीपैट मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को राहत देते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से वोट डाले जाएंगे। वहीं VVPAT से निकलने वाली पर्चियों को लेकर पड़ी याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले में सहमति वाले दो फैसले सुनाये। न्यायमूर्ति खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिनमें दोबारा मतपत्रों से चुनाव कराने की प्रकिया पुन: अपनाने का अनुरोध करने वाली याचिका भी शामिल है।

EVM और VVPAT के बीच बेमेल का एक भी मामला नहीं दिखा- सुप्रीम कोर्ट
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ताओं - प्रशांत भूषण, संतोष पॉल, संजय हेगड़े और अन्य ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि वह चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकता या किसी अन्य संवैधानिक निकाय, चुनाव आयोग का नियंत्रक प्राधिकारी नहीं बन सकता। वह केवल संदेह के आधार पर कार्य नहीं कर सकता है, क्योंकि ईवीएम और वीवीपैट के बीच बेमेल का एक भी मामला नहीं दिखाया गया है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए यह भी दर्ज किया था कि अब तक हैकिंग (ईवीएम) की कोई घटना सामने नहीं आई और यदि कोई घटना होती तो वह कानून बताता है कि क्या किया जाना चाहिए।

चुनाव न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए, बल्कि स्वतंत्र दिखना भी चाहिए
बुद्धवार को अदालत ने यह भी कहा कि चुनाव में कोई भी उम्मीदवार यह दिखा सकता है कि गिने गए पांच फीसदी मत का वीवीपैट से कोई बेमेल था या नहीं। पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने अपनी ओर से दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मतदाता को यह अधिकार है कि वह सुब्रमण्यम स्वामी केस (2013) में इस न्यायालय के निर्देशों के उद्देश्य और उद्देश्य के अनुसार अपने द्वारा डाले गए वोट को सत्यापित कर सके और वीवीपीएटी के कागजी वोट से मिलान किया जा सके। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी दलील दी गई थी कि सभी वीवीपैट पर्चियों का (क्रॉस-सत्यापन) ईवीएम में पड़े मतों से मिलान (गिनती) लोकतंत्र के हित और इस सिद्धांत के लिए आवश्यक है कि चुनाव न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए, बल्कि स्वतंत्र दिखना भी चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा था कि सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग 5000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वर्तमान में केवल लगभग 20,000 वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया गया है।

दरअसल, उच्चतम न्यायालय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से पडे़ मतों के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट (वीवीपैट) की पर्चियों की गिनती (मिलान)100 फीसदी तक बढ़ाने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था । न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ एनजीओ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स'और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुनाया है। 

 

 

 

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