M-Y समीकरण के सहारे चुनावी रण में उतरती आई समाजवादी पार्टी ने बनाई नई रणनीति, अखिलेश का ये दांव बीजेपी पर पड़ सकता है भारी

Edited By Ajay kumar,Updated: 05 May, 2024 06:10 PM

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समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की कुल 80 में से 62 सीट पर चुनाव लड रही है, 17 सीटें उसने कांग्रेस और एक तृणमूल कांग्रेस के लिए समझौते में छोड़ी है। अब तक यादव-मुस्लिम समीकरण के सहारे चुनावी रण में उतरती आई समाजवादी पार्टी ने इस बार भाजपा को...

लखनऊः समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की कुल 80 में से 62 सीट पर चुनाव लड रही है, 17 सीटें उसने कांग्रेस और एक तृणमूल कांग्रेस के लिए समझौते में छोड़ी है। अब तक यादव-मुस्लिम समीकरण के सहारे चुनावी रण में उतरती आई समाजवादी पार्टी ने इस बार भाजपा को घेरने के लिए नए सिरे से चुनावी रणनीति बनाई है। इसके चलते पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश में सिर्फ इस बार पांच यादव प्रत्याशी उतारे हैं। कन्नौज सीट पर खुद अखिलेश स्वयं चुनाव लड़ रहे हैं, तो मैनपुरी से उनकी पत्नी डिंपल यादव मैदान में हैं। आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, बदायूं से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव और फिरोजाबाद सीट से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा किसी भी सीट पर सपा ने कोई भी यादव प्रत्याशी नहीं दिया है, यहां तक कि पूर्वांचल में भी केवल आजमगढ़ में ही यादव प्रत्याशी उतारने का जोखिम उठाया है, जबकि इस इलाके में करीब आधा दर्जन सीटों पर यादव मतदाता प्रभावी भूमिका में है। सपा ने वर्ष 2009 में 11 तो 2014 में 13 और 2019 के लोकसभा चुनाव में 11 यादव समुदाय के प्रत्याशी प्रदेश में उतारे थे।

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बसपा ने 4 तो भाजपा ने उतारे 1 यादव कैंडिडेट
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस बार चार यादव समाज के प्रत्याशी उतारे हैं। बसपा ने मैनपुरी सीट से शिव प्रसाद यादव, रायबरेली से ठाकुर प्रसाद यादव, सीतापुर में महेंद्र यादव और बलिया से ललन यादव को प्रत्याशी घोषित किया था। सपा-बसपा के मुकाबले भाजपा ने यादव बिरादरी से सिर्फ दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट दिया है। प्रदेश में करीब आठ फीसदी वोटर्स यादव समुदाय के हैं, जो कि ओबीसी समुदाय की कुल आबादी का 20 फीसदी माने जाते हैं। इस तरह ओबीसी समुदाय में सबसे बड़ी आबादी यादव वोटर्स की है, यादवों को टिकट देने में कटौती करने वाली सपा ने कुर्मी समाज पर दरियादिली दिखाई है।

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सपा ने सबसे ज्यादा 10सीटों पर उतारे कुर्मी समुदाय के प्रत्याशी 
सपा ने 10 लोकसभा सीटों पर कुर्मी समुदाय के प्रत्याशी उतारे हैं जो पार्टी में किसी एक समुदाय के सबसे ज्यादा उम्मीदवार हैं। यूपी में पिछड़ी जातियों में यादव समाज के बाद सर्वाधिक आबादी कुर्मी समाज की मानी जाती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कुर्मी समाज से लखीमपुर खीरी में उत्कर्ष वर्मा, बांदा से शिवशंकर पटेल, अंबेडकर नगर सीट पर लालजी वर्मा, बस्ती में रामप्रसाद चौधरी, प्रतापगढ़ सीट पर डॉ. एसपी सिंह पटेल, गोडा सीट पर श्रेया वर्मा, पीलीभीत से भगवत सरन गंगवार, श्रावस्ती सीट पर राम शिरोमणि वर्मा और फतेहपुर में प्रदेश अध्यक्ष नरेश सचान को प्रत्याशी बनाया है। सपा के प्रत्याशियों की सूची में जातिगत भागीदारी के लिहाज से 48% से अधिक टिकट गैर-यादव ओबीसी को मिले हैं। 2014 और 2019 के मुकाबले यह आंकड़ा दोगुना है।

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