इस सदी में 'सबसे बड़े सहयोग' की तरफ बढ़ सकते हैं भारत और अमेरिका : राजनाथ

Edited By Ajay kumar,Updated: 07 Feb, 2020 11:37 AM

india and america can move towards biggest cooperation rajnath

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत तथा अमेरिका ''खरीदार और विक्रेता'' की अपनी परम्परागत पहचान से आगे बढ़ेंगे और इस सदी में दोनों मुल्क अपने सबसे बड़े सहयोग की तरफ बढ़ सकते हैं

लखनऊ- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत तथा अमेरिका 'खरीदार और विक्रेता' की अपनी परम्परागत पहचान से आगे बढ़ेंगे और इस सदी में दोनों मुल्क अपने सबसे बड़े सहयोग की तरफ बढ़ सकते हैं। सिंह ने डिफेंस एक्सपो—2020 में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ''भारत—अमेरिका सम्बन्ध क्रेता और विक्रेता की परम्परागत पहचान से आगे बढ़ेंगे। मुझे विश्वास है कि यह रिश्ता भविष्य में और अधिक गतिशील और जीवंत होगा।'' उन्होंने कहा कि अमेरिका न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा उत्पाद निर्यातक है। साथ ही साथ भारत का रक्षा उत्पाद निर्माण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में हमारा सहयोग इस सदी का सबसे बड़ा समन्वय साबित हो सकता है। सिंह ने आयुध निर्माता कम्पनियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार रक्षा क्षेत्र में सुधार कर रही है और निवेशकों को भारत में निवेश करके सर्वाधिक फायदा होगा।

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उन्होंने एक अन्य कार्यक्रम में कहा कि भारत की अफ्रीकी देशों से साझीदारी उनकी प्राथमिकताओं और क्षमताओं के हिसाब से होगी और यह आतंकवाद तथा उग्रवाद से लड़ने के साथ—साथ साइबरस्पेस को सुरक्षित रखने पर भी केन्द्रित होगी। भारत अफ्रीकी देशों के साथ अपने रक्षा सम्बन्धों को और गहराई देगा। डिफेंस एक्सपो में पहली बार आयोजित भारत—अफ्रीका रक्षा मंत्रियों के कान्क्लेव में उन्होंने कहा कि भारत अफ्रीकी देशों को निगरानी पोत, इंटरसेप्टर बोट, नाइट विजन गॉगल्स, मानवरहित विमान, डॉर्नियर विमान तथा अन्य सैन्य साजोसामान उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है। इस कॉन्क्लेव में अफ्रीका महाद्वीप के 12 देशों समेत 38 मुल्कों के रक्षा मंत्रियों ने हिस्सा लिया। ऐसा पहली बार है जब भारत के किसी डिफेंस एक्सपो में अफ्रीकी देशों के साथ रक्षा सहयोग की सम्भावनाएं तलाशने के लिए कोई कॉन्क्लेव आयोजित किया गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अफ्रीकी मुल्कों के साथ निवेश, रक्षा उपकरण उत्पादन में संयुक्त उपक्रम, रक्षा अनुसंधान और विकास समेत विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक गहन तालमेल की कोशिश कर रहा है। भारत की अफ्रीका से साझीदारी एक 'खुली साझीदारी' है। कॉन्क्लेव में भारत—अफ्रीका रक्षा सहयोग सम्बन्धी घोषणा को भी अंगीकार किया गया।

इस मौके पर देश के प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया तथा थलसेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे भी मौजूद थे। सिंह ने एक्सपो में मेडागास्कर के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल रोकोटोनिरीना रिचर्ड से मुलाकात भी की। इस दौरान, रक्षा मंत्री ने क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग में संबंधों को बढ़ाने पर जोर दिया। सिंह ने कहा कि समुद्री पड़ोसियों के रूप में दोनों देशों की जिम्मेदारी है कि वे सुरक्षित समुद्री वातावरण सुनिश्चित करें ताकि व्यापार और वाणिज्य का विकास हो सके।

मार्च 2018 में मेडागास्कर में भारत के राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि ऐतिहासिक यात्रा से दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों में और मजबूती आई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन से दोनों देशों को रक्षा सहयोग के लिए समर्थकारी ढांचा मिला। लेफ्टिनेंट जनरल रोकोटोनिरीना रिचर्ड ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय महासागर के समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा को बढ़ाने में भारत की बड़ी भूमिका है। उन्होंने ‘ऑपरेशन वेनिला' के लिए अपनी सरकार की ओर से आभार व्यक्त किया, जिसमें भारतीय नौसेना ने चक्रवात डयाने की वजह से प्रभावित आबादी को सहायता प्रदान की। मेडागास्कर के रक्षा मंत्री ने इस वर्ष 26 जून को मेडागास्कर के स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भारत के रक्षा मंत्री को आमंत्रित किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्‍सपो में ‘उत्‍तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर' विषयक एक अन्य सेमिनार को सम्‍बोधित करते हुए कहा, ''वर्ष 2030 आते-आते भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शामिल होगा। इसमें यूपी का प्रमुख योगदान होगा।''

उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2024 तक भारत को पांच ट्रिलियन की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने का लक्ष्‍य तय किया है। कुछ अर्थशास्‍त्री इस पर चिंता जताते हुए कहते हैं कि दुनिया में मंदी है, ऐसे में भारत इस लक्ष्‍य को कैसे हासिल करेगा। मगर इसके बावजूद सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्‍यवस्‍था भारत की ही है। कुछ तिमाहियों के लिए कुछ कमी हो जाती है तो मैं समझता हूं कि वह कोई बहुत बड़ी चिंता का विषय नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने भी विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है कि मंदी से पूरी दुनिया जूझ रही है, मगर भारत इससे जल्‍द ही उबर जाएगा। इसका मतलब यह है कि भारत पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्‍य को हासिल करेगा। इसमें कोई दो राय नहीं हैं। सिंह ने निवेशकों को उत्‍तर प्रदेश में निवेश का न्‍योता देते हुए कहा कि उत्‍तर प्रदेश में वायु, रेल और सड़क कनेक्टिवटी को लेकर कोई संकट नहीं रह गया है। यूपी में सिंगल विंडो सिस्‍टम लागू कर दिया गया है। अब कोई दिक्‍कत नहीं है। 

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