अयोध्या में नहीं मिल रही ‘श्रीराम प्रतिमा’ के लिए जमीन, दोबारा चिन्हित भूमि पर भी हुआ विवाद

Edited By Ajay kumar,Updated: 30 Jan, 2020 11:11 AM

land for shri ram not being found in ayodhya dispute over land marked again

अयोध्या में भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाने के योगी सरकार के प्लान के बीच जमीन का रोड़ा फंस गया है।

यूपी डेस्क: अयोध्या में भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाने के योगी सरकार के प्लान के बीच जमीन का रोड़ा फंस गया है। मुख्यमंत्री द्वारा इस प्लान की घोषणा के बाद अयोध्या प्रशासन द्वारा तलाशी गयी भूमि पर स्थानीय लोगों के विवाद और हाईकोर्ट चले जाने के बाद उक्त भूमि के स्थान पर दूसरी भूमि तलाशी गयी। अभी इस पर चिन्हांकन की प्रक्रिया शुरू हुए 4 से 5 दिन ही हुए थे कि पूर्व की भांति स्थानीय लोग एक बार फिर हाईकोर्ट चले गए। लिहाजा एक बार फिर पूर्व की तरह हाईकोर्ट ने कह दिया है कि सहमति के आधार पर ही भूमि ली जाए। 

अब पूर्व की भूमि से प्रभावित होने वाले लोगों की तरह इस भूमि के लोग भी प्रशाशन द्वारा दिये जा रहे मुआवजे से अधिक मुआवजा मांग रहे हैं। इसी के चलते प्रशासनिक अफसरों की आमद की खबर लगते ही बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और समर्थन प्रदर्शित करने के लिए अयोध्या के पूर्व सपा विधायक और राज्य मंत्री तेज नारायण पाण्डेय भी पहुंच गए और संघर्ष का ऐलान कर दिया। इसके बाद मौके पर पहुंचा प्रशासनिक अमला उच्चधिकारियों से बात करने की बात कह ग्रामीणों का ज्ञापन लेकर वापस लौट आया।
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आपको बता दें कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने सबसे ऊंची श्री राम की मूर्ति स्थापित करने की घोषणा की तो हर कोई इसको लेकर उत्सुक था। यह मूर्ति सरयू किनारे ऐसी भूमि पर स्थापित की जानी है कि अयोध्या से ट्रेन या सड़क मार्ग से गुजरने वाले हर यात्री को श्री राम के दर्शन हो जाए। इसके बाद राममूर्ति के लिये जमीन का चिन्हांकन भी हुआ। लेकिन मीरापुर दुआबा स्थित चिन्हित राममूर्ति स्थापित की जाने वाली जमीन पर स्थानीय लोगों के आशियाने और मंदिर थे। स्थानीय लोग मुआवजा बढ़ाने और अधिग्रहण की पारदर्शिता के लिए हाईकोर्ट की शरण में गए तो जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया कि अधिग्रहण की कार्रवाई सहमति के साथ हो। अधिग्रहण में पारदर्शिता बरती जाए। पूर्व में चिन्हित मीरापुर दोआबा में राममूर्ति लगने के लिए सुबे के मुख्यमंत्री ने भी सहमति दे दी थी पर तकनीकी समस्याओं का हवाला देते हुए राममूर्ति के लिए चयनित स्थल बदला दिया गया।
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इस बार राममूर्ति के लिए चिन्हित स्थल माझा बरहटा है। माझा बरहटा में सैकड़ों की संख्या में परिवार निवास कर रहे हैं। अब इन परिवार के लोगों ने भी मीरापुर दोआबा के तर्ज पर ही न्यायालय की शरण ली है। न्यायालय ने यहां पर भी वही आदेश दिया कि जिला प्रशासन पारदर्शिता के साथ जमीन का अधिग्रहण करे। जब प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा तो स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन पर जबरदस्ती का आरोप लगाते हुए विरोध किया और स्थानीय नेताओं के साथ एक बैठक की और छह सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को संबोधित रेजिडेंटल मजिस्ट्रेट अयोध्या को दिया है।

हालांकि इस जमीन पर प्रशासन इनको अवैध कब्जेदार मान रही है क्योंकि पूर्व में यह जमीन किसी और के नाम दर्ज है। लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि वह इन जमीनों पर सैकड़ों सालों से निवास कर रहे हैं। अब स्थानीय लोग न्यायालय के आदेश के बाद प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि उनकी जमीन उनके नाम की जाए। उस पर आवासीय दर्ज हो और उसका उचित मुआवजा सरकार इनको दे। इसको लेकर जिलाधिकारी संबोधित ज्ञापन प्रशासन को सौंपा है। स्थानीय लोगों की मानें तो वह यहां 4 पीढ़ी से निवास कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि वह राममूर्ति का विरोध नहीं कर रहे हैं प्रशासन की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। 
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ग्रामीणों का उत्पीडऩ किसी सूरत में ना हो-सपा नेता 
वहीं ग्रामीणों के पक्ष में पहुंचे समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य मंत्री तेज नारायण पांडे ‘पवन’ ने सरकार से मांग की है कि ग्रामीणों का उत्पीडऩ किसी सूरत में ना हो। यहां पर चार पुश्तों से रह रहे स्थानीय की जमीनों और मकान उनके नाम किया जाए साथ ही उचित मुआवजा देकर ही उनको संतुष्ट करके ही जमीनों का अधिग्रहण हो। 

चकबंदी कराकर इन लोगों का नाम दर्ज किया जाए जमीन-रेजिडेंटल मजिस्ट्रेट अयोध्या
वहीं ज्ञापन लेने वाले रेजिडेंटल मजिस्ट्रेट  ्यष्ठ शर्मा ने कहा कि स्थानीय लोगों का कहना है कि महर्षि योगी की यह जमीन है लेकिन यह लोग सैकड़ों वर्षों से यहां पर बसे हुए हैं। सर्वे और चकबंदी की प्रक्रिया ना हो पाने के कारण आबादी नहीं दर्ज हो पाई है। स्थानीय लोगों ने ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में मांग रखी है कि चकबंदी कराकर इन लोगों का नाम दर्ज किया जाए। उसके बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया की जाए जिससे किसानों का नुकसान ना हो। जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन दिया गया है उस ज्ञापन को जिलाधिकारी को दिया जाएगा साथ ही यथासंभव उचित मुआवजा भी स्थानीय ग्रामीणों को दिलाया जाएगा।

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