Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jul, 2017 03:10 PM

गोरखपुर में लगातार हो रही बारिश बाढ़ के रुप में लोगों के लिए आफत बन कर उभर रही है। आलम यह है कि जहां लोग अपने घर में रहने को मजबूर हो गए है, वहीं बच्चों के शिक्षा पर भी असर पड़ रहा है...
गोरखपुरः गोरखपुर में लगातार हो रही बारिश बाढ़ के रुप में लोगों के लिए आफत बन कर उभर रही है। आलम यह है कि जहां लोग अपने घर में रहने को मजबूर हो गए है, वहीं बच्चों के शिक्षा पर भी असर पड़ रहा है। गोरखपुर जो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र है। वहां बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
बाढ़ग्रस्त गांव में शिक्षा का हाल-बेहाल
आपको जानकर हैरत होगी, लेकिन यहां पर एक ऐसा भी प्राथमिक विद्यालय है जो एक दुकान में चल रहा है। क्योंकि राप्ती के बढ़ते जलस्तर के कारण बांध के किनारे बसे गांवों का बुरा हाल है। खोराबार ब्लॉक के सेंदुली-बेंदुली गांव का प्राथमिक विद्यालय बाढ़ग्रस्त हो गया है। नतीजा प्राथमिक विद्यालय गांव के बंधे के किनारे बनी दुकान में चलाना पड़ रहा है।
विद्यालयों में भरा पानी, दुकानों में चल रहा स्कूल
दरअसल गांव में लगातार बारिश और बढ़ते जलस्त्राव के चलते प्राथमिक विद्यालय तक पहुंच पाना छात्रों के लिए टेढी खीर के बराबर हो गया है। आलम यह है कि यहां की कच्ची सड़क भी बाढ़ के पानी में डूब गई है। नतीजन बच्चों का भविष्य बर्बाद न हो इसलिए विद्यालय को गांव की रहने वाली मंजू गुप्ता की दुकान में शिफ्ट करना पड़ गया है। मंजू बताती है कि इस तरह की स्थिति यहां हर वर्ष बन जाती है इसलिए वह 2 साल से अपनी दुकानों को बच्चों को पढ़ाने के लिए निःशुल्क दे देती हैं।
हर वर्ष करना पड़ता है ये जुगाड़
वहीं विद्यालय के प्रधानाचार्य धर्मेन्द्र कुमार सिंह बताते हैं कि हर साल बरसात और बाढ़ में विद्यायल पानी में डूब जाता है। बाढ़ के कारण विद्यालय तक पहुंच पाना मुश्किल होता है। इसलिए जब तक बाढ़ का असर रहेगा विद्यालय दुकान में ही चलाना पड़ेगा।जिससे, बच्चों की पढ़ाई पर इसका प्रभाव नहीं पड़े।
बीएसए ने कहा- भविष्य में समस्या के हल की बात
उधर इस संबंध में गोरखपुर के बीएसए सुधीर कुमार का कहना है कि जब तक विद्यालय बाढ़ से ग्रस्त है, तब तक किसी ऊंचे स्थान पर विद्यालय को संचालित कराने की वह व्यवस्था कर रहे हैं। भविष्य में यह प्रयास किया जाएगा कि विद्यालय को किसी ऊंचाई वाले स्थान पर स्थानांतरित किया जा सके।
खास बात यह है कि भले ही अधिकारी प्राथमिक विद्यालय को ऊंचे स्थान पर स्थानांतरित करवाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई तो यही है कि इसकी उन्हें जानकारी ही नहीं है कि बाढ़ग्रस्त गांवों में प्राथमिक विद्यालय किस तरह से संचालित हो रहे हैं। यदि उन्हें इसका पता होता, तो प्राथमिक विद्यालय दुकान में नहीं चल रहे होते।