Edited By Diksha kanojia,Updated: 20 Mar, 2022 04:32 PM

उपराष्ट्रपति ने हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई शांति और सुलह संस्थान का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि भारतीयों को ‘औपनिवेशिक मानसिकता'' त्याग देनी चाहिए और अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करना सीखना चाहिए।
हरिद्वारः उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि सरकार पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन ‘‘भगवा में गलत क्या है।'' उन्होंने देश से मैकाले शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से खारिज करने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई शांति और सुलह संस्थान का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि भारतीयों को ‘औपनिवेशिक मानसिकता' त्याग देनी चाहिए और अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करना सीखना चाहिए। नायडू ने कहा कि शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण भारत की नई शिक्षा नीति का केंद्र है, जो मातृ भाषाओं को बढ़ावा देने पर बहुत जोर देती है। उन्होंने पूछा, ‘‘हम पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप है, लेकिन भगवा में गलत क्या है।'' स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में मैकाले की शिक्षा प्रणाली को खारिज करने का आह्वान करते हुए नायडू ने कहा कि इसने देश में शिक्षा के माध्यम के रूप में एक विदेशी भाषा थोप दी और शिक्षा को अभिजात वर्ग तक सीमित कर दिया।
नायडू ने कहा, ‘‘सदियों के औपनिवेशिक शासन ने हमें खुद को एक निम्न जाति के रूप में देखना सिखाया और हमें अपनी संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान का तिरस्कार करना सिखाया गया। उन्होंने कहा कि इसने एक राष्ट्र के रूप में हमारे विकास को धीमा कर दिया, क्योंकि शिक्षा के माध्यम के रूप में एक विदेशी भाषा को लागू करने से शिक्षा सीमित हो गई।'' उन्होने कहा कि समाज का एक छोटा वर्ग शिक्षा के अधिकार से एक बड़ी आबादी को वंचित कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें अपनी विरासत, अपनी संस्कृति और अपने पूर्वजों पर गर्व महसूस करना चाहिए। हमें अपने बच्चों को अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करना सिखाना चाहिए और अपने शास्त्रों को जानने के लिए संस्कृत सीखनी चाहिए, जो ज्ञान का खजाना है।''