Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Apr, 2018 01:53 PM
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को देहरादून के परेड ग्राउंड में दून बुद्धिस्ट सोसाइटी द्वारा आयोजित भीम महोत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने भीम महोत्सव के आयोजन के लिए आयोजन स्थल को निःशुल्क उपलब्ध करवाने की भी सहमति दी।
देहरादून(कुलदीप रावत): उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को देहरादून के परेड ग्राउंड में दून बुद्धिस्ट सोसाइटी द्वारा आयोजित भीम महोत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने भीम महोत्सव के आयोजन के लिए आयोजन स्थल को निःशुल्क उपलब्ध करवाने की भी सहमति दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेदकर देश के संविधान निर्माता होने के साथ-साथ आजादी के बाद विदेश नीति में भी उनका विशेष योगदान रहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद सांस्कृतिक आधार पर अन्तर्राष्टीय संबंध बनाए जाने के प्रयास होते तो कई समस्याओं का समाधान हो जाता। उन्होंने कहा कि नेपाल हिंदु राष्ट्र है। तिब्बत, चीन और जापान में बौद्ध धर्म के अनुयायी है। बौद्ध धर्म की जड़ भारत में ही है और बौद्ध धर्म भारत में ही प्रफुल्लित हुआ। इसमें भारत की मिट्टी की सुगंध है। सीएम ने कहा कि जिस काल और परिस्थितियों डॉ भीमराव अम्बेदकर ने जन्म लिया, उस समय छुआछूत चरम सीमा पर था। उस समय डॉ. अम्बेदकर के सामने मुस्लिम और ईसाई आदि धर्म अपनाने का भी दबाव रहा लेकिन उन्होंने देश और समाज के हित में बौद्ध धर्म अपनान और बुद्ध की शिक्षाओं को ग्रहण कर बुद्धं शरणं गच्छामि का अनुसरण किया। इस धर्म की अच्छाइयों को समझकर छुआछूत को मिटाने और मनुष्यों को भेदभाव ना करने की भी शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि मनुष्य-मनुष्य में भेद करना कष्टकारी होता है और यह एक संवेदनशील व्यक्ति ही समझ सकता है। एक ही मिट्टी और संस्कृति में जन्म लिए हुए व्यक्तियों के सथ भेदभाव करना अमानवीय है।
सीएम ने कहा कि आज के समय में बुद्ध की शिक्षाओं को समझने की जरूरत है। इसके द्वारा ही हम सुख और समृद्ध रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें एक कमाए और सबको खिलाए की नीति को अपनाना चाहिए तभी समाज आगे बढ़ सकता है।