वक्फ बोर्ड का कानून, काला कानून है- वक्फ संशोधन विधेयक पर बोले इमरान मसूद

Edited By Ramkesh,Updated: 06 Apr, 2025 02:09 PM

waqf board s law is a black law imran masood spoke on waqf amendment bill

वक्फ (संशोधन) विधेयक भले ही कानून बन गया है उसके बावजूद भी 'वक्फ के नए कानून को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच बयानबाजी जारी है। इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस कानून को काला कानून बताया है। मसूद ने कहा कि देश...

सहारनपुर: वक्फ (संशोधन) विधेयक भले ही कानून बन गया है उसके बावजूद भी 'वक्फ के नए कानून को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच बयानबाजी जारी है। इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस कानून को काला कानून बताया है। मसूद ने कहा कि देश का संविधान समानता के अधिकार की बात करता है। जबकि इसमें मुसलमानों के अधिकारों को पूरी तरह से कुचल दिया गया है। भाजपा संविधान के साथ छेड़छाड़ कर रही है। "आप हमारी धार्मिक स्वतंत्रता को कैसे कुचल सकते हैं?": कांग्रेस के इमरान मसूद ने वक्फ बिल को लेकर केंद्र की आलोचना की

जानिए वक्फ संशोधन विधेयक क्या है?
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिए प्रस्तावित एक विधेयक है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार करना है। इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए है।

1- वक्फ संपत्ति की घोषणा: अब वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार वक्फ बोर्ड के बजाय राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों को दिया गया है। ​

2- सरकारी संपत्तियों की स्थिति: यदि किसी सरकारी संपत्ति को गलती से वक्फ के रूप में दर्ज किया गया है, तो वह अब वक्फ नहीं मानी जाएगी। विवाद की स्थिति में, जिला कलेक्टर स्वामित्व निर्धारित करेगा और राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। ​

3- केंद्रीय वक्फ परिषद का पुनर्गठन: परिषद में अब दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है, जबकि पहले सभी सदस्य मुस्लिम होते थे। ​

4- वक्फ ट्रिब्यूनल की संरचना: ट्रिब्यूनल में अब ज़िला न्यायालय के न्यायाधीश अध्यक्ष होंगे, और एक राज्य सरकार का संयुक्त सचिव सदस्य होगा। पहले इसमें एक मुस्लिम क़ानून विशेषज्ञ भी शामिल होता था, जिसे अब हटा दिया गया है। ​

5- महिला सदस्यों की भागीदारी: विधेयक में वक्फ बोर्डों और परिषदों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित की गई है। ​इस विधेयक का समर्थन करने वालों का कहना है कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाएगा। वहीं, आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है और वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा सकता है।

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