Edited By Ruby,Updated: 01 Jan, 2019 05:30 PM

आवारा पशुओं के कारण सड़क दुर्घटनों में हो रही वृद्धि और फसलों की क्षति के लिए विपक्ष तथा आम लोगों की आलोचना झेल रही उत्तर प्रदेश की सरकार ने नगर निकाय क्षेत्रों तथा गांवों में अस्थायी गौशाला खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इन गौशालाओं के निर्माण...
लखनऊः आवारा पशुओं के कारण सड़क दुर्घटनों में हो रही वृद्धि और फसलों की क्षति के लिए विपक्ष तथा आम लोगों की आलोचना झेल रही उत्तर प्रदेश की सरकार ने नगर निकाय क्षेत्रों तथा गांवों में अस्थायी गौशाला खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इन गौशालाओं के निर्माण और दैनिक कार्य के लिए सरकार ने उत्पाद शुल्क पर दो प्रतिशत उप कर लगाया है। इसके अलावा 0.5 प्रतिशत उप कर राज्य के टोलों पर लगाया जाएगा। बैठक में पांच प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
सरकार के प्रवक्ता एवं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि बैठक में पांच प्रस्ताव रखे गए थे। सरकार ने नगर निकाय के साथ ही गांव में भी अस्थाई गौ शाला खोलने का निर्णय लिया है। सभी निकाय के साथ ग्राम, क्षेत्र, जिला पंचायत, नगरपालिका, नगर पंचायत और नगर निगमों में आस्थाई गौ शाला खोली जाएगी। सरकार ने आवारा गौ वंश की समस्या के समाधान के लिए कदम उठाया गया है। सरकार की प्रतिबद्धता साफ है कि गौ कशी नहीं होने दी जाएगी आवारा पशुओं का नियमन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अभी तक सरकार से पंजीकृत गौ शालाओं को 30 रुपये प्रति गाय प्रति दिन रख रखाव दिया जाता था। हालांकि उपाय पूरे नहीं थे। ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी जमीन उपलब्ध होने पर गौ सरंक्षण सदन बनेंगे। इसके लिए मनरेगा के माध्यम से ग्राम पंचायत, विधायक, सांसद निधि से निर्माण कराया जाएगा। सरकार ने इसके लिए स्थानीय निकाय को 100 करोड़ रुपया दिया है। जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों और नगरीय क्षेत्र में न्यूनतम 1000 निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनेगा। इसके वितीय प्रबंधन के लिए आबकारी विभाग दो प्रतिशत गौ कल्याण सेस लगाएगा। इसके साथ ही यूपीडा, निर्माण निगम, यूपीएसआईडीसी व सेतु नगम समेत अन्य लाभकारी संस्थान अपने लाभ का 0.5 प्रतिशत गौ कल्याण के लिए देंगे। वहीं मंडी परिषद भी अपने लाभ का दो प्रतिशत इस मद में देगी।