Edited By Mamta Yadav,Updated: 08 Apr, 2025 12:52 AM

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में 91 करोड़ रुपये से अधिक की 13 विकास परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के लिए आयोजित एक समारोह के दौरान बोलते हुए योगी ने कहा “ जबकि प्रौद्योगिकी जीवन को आसान बनाती है, इसकी उच्च लागत सीमित...
Gorakhpur News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को प्रौद्योगिकी संस्थानों से अपने परिसरों से आगे देखने और समाज और राष्ट्र के लिए योगदान देने का आग्रह किया। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में 91 करोड़ रुपये से अधिक की 13 विकास परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के लिए आयोजित एक समारोह के दौरान बोलते हुए योगी ने कहा “ जबकि प्रौद्योगिकी जीवन को आसान बनाती है, इसकी उच्च लागत सीमित करती है। संस्थानों को किफायती, व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान बनाने में अग्रणी होना चाहिए।”

मकान बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये देती है सरकार
एक उदाहरण देते हुए सीएम योगी ने सवाल किया कि सरकार ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये देती है, क्या हम ऐसी तकनीकी अपने स्तर पर विकसित कर सकते हैं कि इसी धनराशि के अंदर ही गरीब अपना मकान बना सके? यह मकान नौ माह की बजाय तीन माह में ही बन सके? इसी तरह उन्होंने ईंट भट्ठे के कारण भूमि की उर्वरता और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि ईंट का विकल्प खोजने के लिए नई तकनीकी खोजने तथा सॉलिड-लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए देसी पद्धतियों में समय के अनुरूप नवाचार करने की अपेक्षा जताई।
हर व्यक्ति तक सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की पहुंच आवश्यक
मुख्यमंत्री ने कहा की सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की आवश्यकता इसलिए भी है कि सरकार कोई भी पैसा अपने जेब से नहीं देती है। बल्कि यह पैसा समाज के लोगों से ही प्राप्त होता है। सरकार को कर (टैक्स) माध्यम से जो पैसा प्राप्त होता है, उसे बजट बनाकर अलग-अलग विभागों के माध्यम से जनता के ही उपयोग के लिए खर्च किया जाता है। सीएम ने कहा कि ईज ऑफ लिविंग के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति तक सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की पहुंच आवश्यक है। पर, यह भी ध्यान रखना होगा कि तकनीकी हमसे संचालित हो, हम तकनीकी से संचालित न हों। तकनीकी ने जीवन में बहुत परिवर्तन लाया है। लोगों के जीवन को बहुत आसान बनाया है।
पहले महज 300 रुपये मासिक पेंशन मिलती थी
शासन की सुविधा और शासन द्वारा अपनाई गई तकनीक एक व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन कर सकते हैं, इसके कई प्रमाण हैं। प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन वितरण की पारदर्शी व्यवस्था में भी तकनीकी का ही योगदान है। इस व्यवस्था के पहले 2017 में जब एक ही दिन 80 हजार उचित मूल्य वाली दुकानों की जांच की गई तो 30 लाख फर्जी राशन कार्ड पकड़ में आए थे। मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले वृद्धजनों, निराश्रित महिलाओं और दिव्यांगजन को महज 300 रुपये मासिक पेंशन मिलती थी और मैनुअल व्यवस्था के कारण उसमें काफी पैसा किराए और बाबू के कट में चला जाता था। अब सरकार ने न केवल पेंशन की राशि बढ़ाकर एक हजार रुपये मासिक कर दी बल्कि सीधे खाते में रकम ट्रांसफर कर किराए और बाबू के कट से भी मुक्ति दिला दी है। यह तकनीकी का जनहितकारी इस्तेमाल है।