समाज के लिए आदर्श बनी हेडमास्टर शिल्पी, कोरोना काल में घर-घर जाकर बच्चों को किया प्रेरित

Edited By Umakant yadav,Updated: 20 Oct, 2020 01:19 PM

shilpi became role for society resourceless children are being criticized

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ऐसी महिलाएं हैं जो अपनी मेहनत के दम पर समाज के लिए आदर्श हैं। बेसिक शिक्षा विभाग में भी एक नाम है हेडमास्टर शिल्पी मिश्रा का। अंग्रेजी माध्यम के प्राइमरी स्कूल सुकरौली में तैनात...

कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ऐसी महिलाएं हैं जो अपनी मेहनत के दम पर समाज के लिए आदर्श हैं। बेसिक शिक्षा विभाग में भी एक नाम है हेडमास्टर शिल्पी मिश्रा का। अंग्रेजी माध्यम के प्राइमरी स्कूल सुकरौली में तैनात इस हेडमास्टर ने अपनी नौकरी के 7 साल में अपनी कर्मठता का लोहा मनवाया है। कोरोना संकट काल में जब सभी लोग जान बचाने को घर में दुबके थे, तो इस अध्यापिका ने न सिर्फ बच्चों की ऑनलाइन पाठशाला चलाई बल्कि महीने में एक बार उन बच्चों के घर जाकर उनकी कॉपियां जांचीं और टेस्ट लेकर पढ़ाई के प्रति रुचि को बनाए रखा। तभी तो इन्हें बच्चों का शिल्पी कहा जाने लगा है।

शिल्पी मिश्रा साल 2013 में बीटीसी का प्रशिक्षण लेकर बनी थीं अध्यापक
फाजिलनगर क्षेत्र के कृपापट्टी गांव की रहने वाली शिल्पी मिश्रा साल 2013 बीटीसी का प्रशिक्षण लेकर अध्यापक बनी थीं। पहली तैनाती प्राथमिक विद्यालय धुनवलिया में हुई। कुछ ही दिनों में बच्चों की प्रार्थना से लेकर पढ़ाई तक में नया प्रयोग कर सुर्खियों में आ गईं। लैपटॉप से बच्चों को पढ़ाना, उन्हें ड्राइंग व संगीत सिखाना शिल्पी की दैनिक दिनचर्या में शामिल था। प्रमोशन के बाद इन्हें सुकरौली ब्लॉक में तैनाती मिली। शासन ने जब प्रत्येक ब्लॉक में चुनिंदा प्राइमरी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदला तो प्राथमिक विद्यालय सुकरौली को भी इसमें चयनित किया गया।

लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गार्जियन को किया तैयार
बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संगीत व कला के प्रति जागरूक करने वाली शिल्पी ने राष्ट्रीय पर्वों पर प्राइवेट स्कूलों की तरह ही अपने स्कूल के बच्चों को भी ड्रेस सज्जा उपलब्ध कराई। लॉकडाउन के दौरान भी इनका बच्चों के प्रति लगाव कम नहीं रहा। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गार्जियन को तैयार किया। पढ़ाई के दौरान बच्चों का जुड़ाव बना रहे इसके लिए ये साप्ताहिक व मासिक टेस्ट भी लेती हैं। टेस्ट पेपर बनाकर एक-एक बच्चे के घर गईं और अगले दिन फिर उनसे उत्तर पुस्तिका एकत्रित कर जांच के बाद नंबर भी बताया। इसके अलावा भी यह बच्चों को अक्सर गांव में सफाई, पेयजल आदि के मुद्दों पर भी जागरूक करती हैं।

2015 से अब तक कई बार आदर्श शिक्षक का मिला पुरस्कार
बेसिक शिक्षा विभाग व विभिन्न संगठनों की तरफ से इन्हें 2015 से अब तक कई बार आदर्श शिक्षक का पुरस्कार दिया जा चुका है। बीएसए विमलेश कुमार भी शिल्पी मिश्रा के कार्यों की सराहना करते हुए नहीं थकते। बीएसए का कहना है कि अगर इनकी तरह ही अन्य अध्यापक भी अपनी ड्यूटी को लेकर फिक्रमंद हो जाएं तो बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूल प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर बन जाएंगे।

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