यूपी: अावारा कुत्तों को मारने के खिलाफ याचिका पर SC एक जून को करेगा सुनवाई

Edited By Anil Kapoor,Updated: 29 May, 2018 01:21 PM

sc to hear petition against killing of dogs for hearing on june 1

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों को कथित रूप से मारे जाने के खिलाफ दायर याचिका पर 1 जून को सुनवाई की जाएगी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम एम शांतागौडार की पीठ के समक्ष वकील...

नई दिल्ली\लखनऊ: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों को कथित रूप से मारे जाने के खिलाफ दायर याचिका पर 1 जून को सुनवाई की जाएगी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम एम शांतागौडार की पीठ के समक्ष वकील गार्गी श्रीवास्तव की याचिका का उल्लेख किया गया। पीठ ने कहा कि याचिका पर एक जून को सुनवाई की जाएगी।

याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि सीतापुर जिले में पिछले 7 महीने में 13 बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद राज्य में आवारा कुत्तों को उस समय तक नहीं मारा जाए जब कि यह साबित नहीं हो जाए कि इन हमलों में कुत्ते शामिल थे। याचिका में कहा गया है कि जांच से संकेत मिले हैं कि बच्चों पर आवारा कुत्तों ने नहीं बल्कि वन्य जीवों ने हमले किए हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीतापुर जिले में आवारा कुत्तों को अंधाधुंध और अमानवीय तरीके से कथित रूप से सिर्फ इस अनुमान के आधार पर ही मारा जा रहा है कि कुत्तों के हमलों की वजह से ही बच्चों की मौत हुई है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि शीर्ष अदालत ने नवंबर 18, 2015 के आदेश में सभी स्थानीय प्राधिकारियों और पंचायतों को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि आवारा कुत्तों को मारा नहीं जाए। याचिका के अनुसार पशु कल्याण समूहों ने एक समिति बनाई थी जिसने सीतापुर का दौरा किया और उसे पता चला कि जिला प्रशासन ने ही स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर आवारा कुत्तों को मारने की अनुमति दी थी, जिला प्रशासन ने इन कुत्तों को पकड़ने और मारने के लिए लोगों की सेवाएं ली थीं और उन्हें एक कुत्ते के लिए 600 रूपए का भुगतान किया जा रहा था।

याचिका में इस मामले में उन व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और प्राथमिकी दर्ज करने का उप्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है जो कानून का पालन किए बगैर ही आवारा कुत्तों की मारने में मदद करने और इसके लिए उकसाने की गतिविधि में संलिप्त थे। याचिका में कहा गया है कि राज्य में उप्र पशु कल्याण बोर्ड को शीर्ष अदालत के पहले के आदेश के अनुरूप कार्रवाई करनी चाहिए।

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