पलायन नहीं, परिश्रम और संघर्ष का मार्ग है संन्यास, CM योगी ने भगवान श्रीकृष्ण को राजनीतिक आदर्श बताया

Edited By Mamta Yadav,Updated: 30 Jun, 2024 02:48 AM

sanyas is the path of hard work and struggle not escape cm yogi

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सन्यास की व्याख्या करते हुये शनिवार को कहा कि सन्यास वास्तव में जिम्मेदारियों से पलायन नहीं बल्कि परिश्रम और संघर्ष का मार्ग है और सन्यास की सार्थकता को सिद्ध करने के लिये वह आज भी 16 से 18 घंटे जनहित के...

Lucknow News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सन्यास की व्याख्या करते हुये शनिवार को कहा कि सन्यास वास्तव में जिम्मेदारियों से पलायन नहीं बल्कि परिश्रम और संघर्ष का मार्ग है और सन्यास की सार्थकता को सिद्ध करने के लिये वह आज भी 16 से 18 घंटे जनहित के कार्य करते हैं।
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भौतिक उपलब्धि व्यक्ति को कभी संतुष्ट नहीं कर सकती: CM
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मेधावी छात्र सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये योगी ने कहा “ संन्यास लेने पर शुरू-शुरू में लोग मुझे टोकते थे। आज मैं उन लोगों को देखता हूं तो पाता हूं कि कोई संतुष्ट नहीं है। भौतिक उपलब्धि व्यक्ति को कभी संतुष्ट नहीं कर सकती। ये ठीक है कि मैं आज मुख्यमंत्री हूं। मगर मैंने संन्यास लिया, ये पलायन का नहीं परिश्रम और संघर्ष का मार्ग है। आज भी 16-18 घंटे काम करता हूं, इसलिए नहीं कि कोई पद या प्रतिष्ठा प्राप्त होगी, बल्कि इसलिए क्योंकि ये मेरा कतर्व्य है। मैं अपने संन्यास की सार्थकता को साबित कर सकूं। आज मैं भगवान श्रीकृष्ण के सिद्धांतों पर चलते हुए सज्जनों के साथ खड़ा रहता हूं और दुष्टों के त्राण के लिए कदम भी उठाता हूं।

'पीड़ितों के साथ खड़े रहना ही मेरे जीवन की सार्थकता'
मुख्यमंत्री ने मेधावी छात्र-छात्राओं की ओर से पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि संन्यास का फैसला लेना उनके और उनके माता-पिता के लिए चुनौती थी। कोई अभिभावक नहीं चाहता कि उसका बच्चा संन्यासी बन जाए। अभिभावक रिटर्न चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बचपन में वह भी वही सोचते थे, जो आज के बच्चे सोचते हैं। वह चाहते थे कि एक अच्छा इंजीनियर बनें। बाद में अहसास हुआ कि कोई इंजीनियर या पद प्राप्त करने से अच्छा है कि पीड़ितों के साथ खड़ा रहूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यही मेरे जीवन की सार्थकता है।

'परिश्रम का कोई विकल्प नहीं'
उन्होंने कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। जितना परिश्रम करेंगे, उसका परिणाम हमारे पक्ष में जरूर आएगा। कहा कि किसी कार्य में अगर बाधाएं नहीं हैं, तो मानकर चलिए कि आपकी दिशा ठीक नहीं। जितने शुभचिंतक हैं, उतने ही दुश्मन भी होने चाहिए, तब जो सफलता मिलती है, उसका आनंद भी अलग होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर छात्र छात्रा को प्रधानमंत्री मोदी की किताब एग्जाम वारियर्स जरूर पढ़ना चाहिए।

'पॉलिटिक्स फुल टाइम जॉब नहीं, हर क्षेत्र के विशेषज्ञों को आना होगा'
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को राजनीति में अपना आदर्श बताते हुए कहा कि पॉलिटिक्स फुल टाइम जॉब नहीं है। राजनीति में अलग-अलग फील्ड से जुड़े विशेषज्ञों को आना चाहिए। इसमें अच्छे शिक्षाविद्, अच्छे पत्रकार, अच्छे चिकित्सक, किसान सबको योगदान देना होगा। जब ऐसे लोग राजनीति में आएंगे तो स्वस्थ चर्चा-परिचर्चा आगे बढ़ेगी।

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