जालसाजी कर प्राप्त दस्तावेजों के जरिये सिम लेकर धन आहरित करने वाले गिरोह के 14 सदस्‍य गिरफ़्तार

Edited By PTI News Agency,Updated: 17 Jan, 2021 06:33 PM

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लखनऊ, 17 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश पुलिस आतंकवाद निरोधक दस्‍ता (एटीएस) ने जालसाजी कर प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर सिम हासिल कर और फिर उनके जरिये ऑनलाइन बैंक खाते खोलकर अवैध तरीके से धन स्‍थानांतरित करने वाले गिरोह के कथित 14 सदस्‍यों को...

लखनऊ, 17 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश पुलिस आतंकवाद निरोधक दस्‍ता (एटीएस) ने जालसाजी कर प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर सिम हासिल कर और फिर उनके जरिये ऑनलाइन बैंक खाते खोलकर अवैध तरीके से धन स्‍थानांतरित करने वाले गिरोह के कथित 14 सदस्‍यों को गिरफ़्तार किया है।
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्‍यवस्‍था) प्रशांत कुमार और पुलिस महानिरीक्षक (एटीएस) जीके गोस्‍वामी ने रविवार को पत्रकारों को यह जानकारी दी।
प्रशांत कुमार ने बताया कि पकड़े गये अपराधी एक षडयंत्र के तहत गिरोह बनाकर फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर सिम प्राप्‍त कर विभिन्‍न बैंकों में ऑनलाइन खाता खोलकर अवैध तरीके से रकम का आदान-प्रदान करते थे।

उन्होंने बताया कि यह जानकारी मिलने के बाद एटीएस की टीम ने गिरोह का पता लगा 14 अपराधियों को गिरफ़्तार कर लिया।
उन्‍होंने बताया कि मोहम्मद फहीम, सैमुल हसन, हरिओम अरोड़ा, प्रेम सिंह, चन्द्र किशोर, अंशुल कुमार सक्‍सेना, तरुण सूर्या, पीयूष वार्ष्‍णेय और प्रशान्त गुप्ता को एटीएस लखनऊ और अन्‍य पांच अ‍पराधियों की एटीएस यूनिट नोएडा द्वारा गिरफ़्तारी की गई है।
उन्‍होंने बताया कि नोएडा टीम द्वारा गिरफ़्तार किये गये अपराधियों को लखनऊ लाया जा रहा है।

उन्‍होंने बताया कि पकड़े गये अपराधियों से विस्‍तृत पूछताछ की जा रही है।
एडीजी ने बताया कि पकड़े गये अभियुक्‍तों को न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत कर पुलिस की हिरासत में लिया जाएगा जिससे इनके अन्‍य सहयोगियों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिल सके।
प्रशांत कुमार ने बताया कि अवैध तरीके से हासिल की गई रकम का उपयोग आपराधिक गतिविधियों में किया जाता था।
उन्‍होंने बताया कि पकड़े गये आरोपियों के कब्‍जे से 250 सिम और उनके रैपर बड़ी संख्‍या में मिले हैं।
इस गिरोह‍ की कार्यपद्धति के बारे में प्रशांत कुमार ने बताया कि गलत तरीके से बैंक खाते खोलकर ये लोग अज्ञात स्रोत से स्‍थानांतरित की गई धनराशि को कार्डलेस पेमेंट मोड से एटीएम व अन्‍य माध्‍यमों से आहरित कर लेते थे।

उन्होंने बताया कि गिरोह के सदस्‍य खाता खोलने और धन आहरित करने के लिए पहले से ही चालू सिम विभिन्‍न डिस्‍ट्रीब्‍यूटर, फुटकर विक्रेताओं से प्राप्‍त करते थे।

प्रशांत कुमार ने बताया कि डिस्‍ट्रीब्‍यूटर उक्‍त सिम को अपने यहां आने वाले ग्राहकों के पहचान पत्र व फोटो का दुरुपयोग कर उनकी जानकारी के बिना चालू करते थे।

उन्‍होंने बताया कि अभियुक्‍त प्रेम सिंह डिस्‍ट्रीब्‍यूटर और फुटकर विक्रेत से प्री-एक्टिवेटेड सिम (पहल से ही चालू हालत में सिम)लेकर दिल्‍ली में विभिन्‍न लोगों को बेचता था और इससे प्रति सिम 40 रुपये का अतिरिक्‍त लाभ होता था।

एडीजी ने बताया कि उसने जुलाई 2020 से जनवरी 2021 तक लगभग 1500 प्री पेड एक्टिवेटेड सिम दिल्‍ली के लोगों को दिये हैं।

उन्‍होंने बताया कि प्रेम सिंह के दिये सिम का प्रयोग एक विदेशी नागरिक ने भी किया जो विभिन्‍न बैंकों में खाते खोलकर अज्ञात स्रोतों से धनराशि स्‍थानांतरित कर उक्‍त धनराशि को कार्डलेस पेमेंट मोड से एटीएम व अन्‍य माध्‍यमों से आहरित कर लेता था।

उन्‍होंने कहा कि इस मामले में संलिप्‍त विदेशी अभियुक्‍त के विरूद्ध लुक आउट नोटिस जारी किये जाने की कार्यवाही की जा रही है।



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