‘आक्सीजन लगाओ नहीं तो मैं मर जाऊंगा’, डॉ. ने 2 मिनट लगाने के बाद उतार दिया और फिर.

Edited By Ajay kumar,Updated: 22 Jul, 2019 01:20 PM

patient dies due to non oxygen availability

बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाख दावा करने वाली योगी सरकार के सभी दावों की पोल खुल गई है। प्रदेश का कोई भी ऐसा जिला नहीं है जहां से डॉक्टरों की लापवाही न सामने आए।

फर्रुखाबाद: बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाख दावा करने वाली योगी सरकार के सभी दावों की पोल खुल गई है। प्रदेश का कोई भी ऐसा जिला नहीं है जहां से डॉक्टरों की लापवाही न सामने आए। इन डॉक्टरों की लापवाही का खामियाजा मरीजों को अपनी जान से हाथ धोकर चुकाना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला फर्रुखाबाद के कायमगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिला। जहां ऑक्सीजन न मिलने से मरीज की मौत हो गई।
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दरअसल कायमगंज-फर्रुखाबाद मार्ग से अपने घर चिलसरी लौट रहे बाइक सवार युवक राहुल (19) पुत्र नेम सिंह को किसी अज्ञात ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। राहगीरों की मदद से उसे ई-रिक्शा द्वारा कायमगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया जहां काफी देर बाद उसे फार्मासिस्ट द्वारा उपचार दिया गया। घायल युवक को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इस पर घायल युवक ने स्वयं मांग की कि मुझे ऑक्सीजन लगाओ नहीं तो मैं मर जाऊंगा। जिस पर अस्पताल प्रशासन ने ऑक्सीजन ना होने की बात कही। घायल की हालत ज्यादा गंभीर होने पर जैसे तैसे ऑक्सीजन लगाई गई लेकिन 2 मिनट बाद ही हटा ली गई जिसके चलते युवक ने दम तोड़ दिया। 

कोई भी डॉक्टर देखने नहीं आया: परिजन
वहीं परिजनों का आरोप है कि हमारे मरीज को फार्मासिस्ट ने ही उपचार किया है कोई भी डॉक्टर देखने नहीं आया। सवाल ये उठ रहा है कि 
आखिर लाख शिकायतों के बावजूद भी कायमगंज के डॉक्टर अपनी मनमानी क्यों करते हैं। जिससे किसी के घर की खुशियां मातम में बदल जाती हैं। शायद यदि युवक को समय से ऑक्सीजन मिल जाती तो उसकी जान बच सकती थी। 

शिकायत के बाद भी नहीं सुधरते चिकित्सक : विधायक 
सूचना पर पहुंचे क्षेत्रीय विधायक अमर सिंह खटिक ने भी इसका ठीकरा अस्पताल प्रशासन पर ही फोड़ा है। उन्होंने कहा कि मैंने भी कई बार यहां के चिकित्सकों की मनमानी की शिकायत की है लेकिन यहां कोई सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। 

मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने किया रेफर
फिलहाल अस्पताल प्रशासन से यह सवाल है कि यदि सीएचसी में समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं थी तो घायल को रिफर क्यों नहीं किया गया ताकि उसे सही समय पर उचित इलाज मिल जाता और उसकी जान बच जाती। मगर दिलचस्प बात यह है कि जब युवक की मौत हो गई तब अस्पताल प्रशासन ने उसे रेफर किया। 

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