Edited By Ruby,Updated: 12 Mar, 2019 10:30 AM
लखनऊः ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मई में रमजान के दौरान लोकसभा चुनाव कराए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्वाचन आयोग से तारीखें बदलने पर विचार करने की मांग...
लखनऊः ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मई में रमजान के दौरान लोकसभा चुनाव कराए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्वाचन आयोग से तारीखें बदलने पर विचार करने की मांग की है। हालांकि चुनाव आयोग ने रमजान के महीने में चुनाव कराने के फ़ैसले पर उठ रहे सवालों को नकारते हुए कहा कि चुनाव कार्यक्रम में मुख्य त्योहार और शुक्रवार का ध्यान रखा गया है।
एआईएमपीएलबी के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने छह मई से 19 मई के बीच होने वाले लोकसभा चुनाव कार्यक्रम को लेकर कहा कि पांच मई को मुसलमानों के सबसे पवित्र महीने यानी रमजान का चांद देखा जाएगा। अगर चांद नजर आ जाता है तो छह मई को पहला रोजा होगा। रमजान के दौरान देश में 6, 12 और 19 मई को मतदान होगा। मौलाना फरंगी महली ने कहा कि निर्वाचन आयोग को देश के मुसलमानों का ख्याल रखते हुए चुनाव कार्यक्रम तय करना चाहिए था। उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह मई माह में होने वाले मतदान की तारीखें बदलने पर विचार करे।
इस बीच, ऑॅल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने भी रमजान के दौरान चुनाव कराए जाने पर नाखुशी जाहिर की है। शाइस्ता ने कहा कि चुनाव भी लोकतंत्र का पर्व है, लेकिन अगर इसकी घोषणा में सभी समुदायों की भावनाओं का ख्याल किया जाता तो खुशी होती। उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में रोजा रहकर वोट देने में तकलीफों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही नमाज में भी बाधाएं आएंगी। इधर, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने चुनाव आयोग पर भाजपा कार्यालय से संचालित होने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि पवित्र रमजान के महीने में तीन चरणों का लोकसभा चुनाव कराना मुस्लिम समुदाय के लिए मतदान को कठिन कर देने की साजिश और भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश है।