राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु बोलीं- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने देश को दिए हैं दो भारत रत्न

Edited By Mamta Yadav,Updated: 11 Dec, 2023 10:48 PM

mahatma gandhi kashi vidyapeeth has given two bharat ratna to the country

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और डॉ भगवान दास के रूप में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने देश को भारत को दो भारत रत्न दिये हैं जो संस्थान की गौरवशाली विरासत का जीवंत प्रमाण है।

Varanasi News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और डॉ भगवान दास के रूप में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने देश को भारत को दो भारत रत्न दिये हैं जो संस्थान की गौरवशाली विरासत का जीवंत प्रमाण है।
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शास्त्री जी के जीवन मूल्यों को अपनाएं छात्र
विद्यापीठ के 45वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि दो-दो भारत रत्न का इस संस्थान से जुड़ना महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की गौरवशाली विरासत का जीवंत प्रमाण है। भारत रत्न डॉ. भगवान दास इस विद्यापीठ के पहले कुलपति थे और पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री इस संस्था के पहले बैच के छात्र रहे थे। इस संस्थान के छात्रों से यह अपेक्षा है कि वे अपने आचरण में शास्त्री जी के जीवन मूल्यों को अपनायें।
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विद्यापीठ के सभी छात्र स्वतंत्रता संग्राम के राष्ट्रीय आदर्शों के ध्वजवाहक
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विद्यापीठ की यात्रा जो हमारे देश की स्वतंत्रता से 26 साल पहले गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भरता और स्वराज के लक्ष्यों के साथ शुरू हुई थी। यह विश्वविद्यालय जो असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था के रूप में स्थापित हुआ था, हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सभी छात्र स्वतंत्रता संग्राम के हमारे राष्ट्रीय आदर्शों के ध्वजवाहक हैं। उन्होंने कहा कि काशी विद्यापीठ का नाम महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रखने के पीछे का उद्देश्य हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। उन आदर्शों का अनुसरण करके अमृत काल में देश की प्रगति में अपना प्रभावी योगदान देना ही विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माण संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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मुर्मू ने कहा कि वाराणसी प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र रही है। आज भी इस शहर की संस्थाएँ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रों और शिक्षकों से ज्ञान के केंद्र की परंपरा को बनाए रखते हुए अपने संस्थान के गौरव को लगातार समृद्ध करते रहने का भी अनुरोध किया।

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