किडनी कांडः डॉ. दीपक शुक्ला ने कबूली मानव अंगों की खरीदफरोख्त की बात, पूछताछ में हुए अहम खुलासे

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 09 Jun, 2019 06:01 PM

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कानपुर किडनी रैकेट मामले मे पुलिस ने दिल्ली के पुष्पावती सिंहानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (PSRI) अस्पताल के सीईओ दीपक शुक्ला को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने शुक्ला से पूछताछ की है। पछताछ में सीईओ डॉ. शुक्ला ने मानव अंगों की खरीदफरोख्त की बात कबूली है। इस...

कानपुरः कानपुर किडनी रैकेट मामले मे पुलिस ने दिल्ली के पुष्पावती सिंहानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (PSRI) अस्पताल के सीईओ दीपक शुक्ला को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने शुक्ला से पूछताछ की है। पछताछ में सीईओ डॉ. शुक्ला ने मानव अंगों की खरीदफरोख्त की बात कबूली है। इस मामले में गिरोह के सरगना गौरव मिश्रा समेत अब तक 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
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अवैध तरीके से किडनी प्रत्यारोपण के मिले सबूत
इस बारे में एसपी (कानपुर) राजेश यादव ने बताया कि जांच के दौरान पीएसआरआई में अवैध तरीके से किडनी प्रत्यारोपण के सबूत मिले हैं। बिचौलियों की मदद से यहां गरीब लोग लाए जाते थे और फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट तैयार कर कागज बनाए जाते थे। इसके एवज में रिसीवर से मोटी रकम वसूलने का खेल लंबे समय से जारी था। पुलिस को डॉ. केतन कौशिक की भी तलाश है। किडनी के कारोबार में कौशिक का नेटवर्क श्रीलंका, तुर्की तक फैला है।
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डोनर और रीसीवर को आपस में बताया जाता था रिश्तेदार
आरोपियों की गिरफ्तारी होने के बाद से इनके काम करने के तरीकों के खुलासे हो रहे हैं। सीईओ दीपक शुक्ला से हुई पूछताछ के आधार पर दावा किया कि इसमें डोनर और रीसीवर को आपस में रिश्तेदार बताया जाता था। पुलिस के मुताबिक, किडनी-लिवर ट्रांसप्लांट में सबसे बड़ा खेल डीएनए सैंपल बदलने और फर्जी दस्तावेज को तैयार करने में होता था। इसी के जरिए डोनर (किडनी देने वाला) और रिसीवर (किडनी लेने वाला) रिश्तेदार दिखाए जाते थे। ये पूरा हेरफेर हॉस्पिटल के कोऑर्डिनेटर, डोनर प्रोवाइडर के साथ मिलकर करते थे। इसकी पूरी जानकारी डॉक्टर दीपक शुक्ला को रहती थी।
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PSRI की लैब में होता था पूरा खेल
बता दें कि नियमों के मुताबिक, मरीज का रिश्तेदार ही किडनी या लिवर डोनेट कर सकता है। इसके लिए तय कानूनी प्रक्रिया है। एसपी क्राइम ने बताया कि कोऑर्डिनेटर फर्जीवाड़ा कर मरीज के सही रिश्तेदार की डीएनए जांच करवाता था। इसके बाद इस रिपोर्ट को डोनर की डीएनए रिपोर्ट बताकर अधिकारियों के सामने रखी जाती थी। यहां पर जांच में सब कुछ सही बताकर फाइल आगे बढ़ा दी जाती है और आखिर में ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पूरी की जाती थी। ये पूरा खेल पीएसआरआई की लैब में ही होता था।
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जानिए, क्या है मामला? 
बता दें कि, शिकायतकर्ता ने तहरीर में लिखा था कि श्याम, जुनैद व मोहित उसे नौकरी दिलवाने का झांसा देकर गाजियाबाद और वहां से जांच के बहाने दिल्ली के अस्पताल ले गए थे। वहां 3 लाख रुपये में उसकी किडनी बेचने की कोशिश की। इसकी भनक लगने पर वह दिल्ली से लौट आई और एक फरवरी को बर्रा थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

 

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