Magh mela- संगम तट पर साधु-संतों के साथ ही तिलकधारी खरगोश भी कर रहे हैं कल्पवास, खाने में पसंद है मोमोज और मंचूरियन

Edited By Mamta Yadav,Updated: 24 Jan, 2022 01:50 PM

in magh mela along with saints tilak bearing rabbits are also doing kalpavas

देश के सबसे बड़े धार्मिक माघ मेले में इन दिनों श्रद्धालुओं और साधु संतों का कल्पवास चल रहा है, इसी कड़ी में इस बार मेला क्षेत्र से खास तस्वीर देखने को मिल रही है या कहें कि एक खास कल्पवासी कल्पवास करते दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि ये खास कल्पवासी...

प्रयागराज: देश के सबसे बड़े धार्मिक माघ मेले में इन दिनों श्रद्धालुओं और साधु संतों का कल्पवास चल रहा है, इसी कड़ी में इस बार मेला क्षेत्र से खास तस्वीर देखने को मिल रही है या कहें कि एक खास कल्पवासी कल्पवास करते दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि ये खास कल्पवासी खरगोश है जो पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही साधु संतों और श्रद्धालुओं के साथ कल्पवास करते नजर आ रहे हैं।

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चित्रकूट के एक आश्रम में रहने वाले यह सभी खरगोश अपने आश्रम के साधु-संतों के साथ प्रयागराज में लगे माघ मेले के शिविर में इन दिनों कल्पवास करते दिखाई दे रहे हैं। खास बात यह है कि कल्पवासियों की तरह ही यह भी अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। दो समय इनको गंगा स्नान कराया जाता है,  माथे पर चंदन तिलक लगाया जाता है साथ ही साथ सात्विक भोजन दिया जाता है।

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आश्रम की महंत योगाचार्य राधिका वैष्णव ने बताया कि उनके गुरु कपिल देव महाराज जी की मृत्यु पिछले साल कोरोना काल के दौरान एक बीमारी से पीड़ित हो करके हो गई थी। महाराज को पशुओं से बहुत प्रेम था और उनकी इस प्रथा को आगे बढ़ाने के लिए  खरगोश के साथ-साथ अन्य जंतुओं को भी चित्रकूट के आश्रम में पाल रखा है। हालांकि इस बार के माघ मेले में वो अपने शिविर में 20 से अधिक खरगोशों को लेकर आई है और आम श्रद्धालुओं, साधु-संतों की तरह उनको भी कल्पवास कराया जा रहा है। दिन भर उनके शिविर में कल्पवासी खरगोशों को देखने के लिए लोगों की भीड़ भी जमा रहती है। कोई हाथों से खाना खिलाता है तो कोई अपनी गोद में लिए खरगोश को  सहलाता दिखाई देता है। अलग-अलग जनपदों से आए कल्पवासी श्रद्धालुओं का कहना है कि उनको यह देख करके बेहद खुशी हो रही है, क्योंकि ऐसी तस्वीर उन्होंने अब तक जिंदगी में कभी नहीं देखी है। बच्चे हो या फिर बुजुर्ग सभी लोग इन खरगोशों के साथ खेलते हुए नजर आते हैं।

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शिविर की महंत योगाचार्य राधिका वैष्णव जी का कहना है कि इन खरगोशों को सबसे ज्यादा लगाव उनके गुरु जी कपिल देव महाराज जी के साथ रहा है इसी वजह से यह सभी खरगोश उनकी तस्वीर के सामने दिन भर खेलते रहते हैं। किसी भी श्रद्धालु को ना तो यह काटते हैं और ना ही पंजे से नकोटते हैं। इन खरगोशों को स्वास्तिक भोजन तो दिया ही जाता है साथ ही साथ इनको खाने में मंचूरियन, मैगी, चौमिन  और मोमोज काफी पसंद है। इन खरगोशों का कल्पवास माघी पूर्णिमा के बाद आने वाला त्रिजटा स्नान के साथ खत्म होगा और यह सभी खरगोश त्रिजटा स्नान करने के बाद ही चित्रकूट के लिए रवाना होंगे।   गौरतलब है कि संगम के तट पर अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं और इसी कड़ी में माघ मेले से सामने आई तस्वीर बहुत कुछ बयां कर रही है।

 

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