बुंदेलखंड के अहम चुनावी मुद्दे पानी और रोजगार

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 28 Apr, 2019 06:40 PM

important election issues of bundelkhand water and employment

बीते दो दशक से सूखे की मार से पीड़ित बुंदेलखंड के लिये जलसंकट और पलायन से उजड़े गांव इस इलाके के पिछड़ेपन की मूल वजह बन गये हैं। इस लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की, बुंदेलखंड क्षेत्र की आठ सीटों पर पिछले चुनाव की तरह ही पानी...

झांसीः बीते दो दशक से सूखे की मार से पीड़ित बुंदेलखंड के लिये जलसंकट और पलायन से उजड़े गांव इस इलाके के पिछड़ेपन की मूल वजह बन गये हैं। इस लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की, बुंदेलखंड क्षेत्र की आठ सीटों पर पिछले चुनाव की तरह ही पानी और पलायन प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं। इलाके की तीन सीटों (झांसी, हमीरपुर और जालौन) पर चुनाव के चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार थम गया है।

सत्तारूढ़ भाजपा सूखे के संकट से निपटने के लिये 2014 में किए गए वादे के जवाब में नदी जोड़ो परियोजना का आगाज बुंदेलखंड से करने की दलील दे रही है। वहीं विपक्ष इस योजना से इलाके में जलसंकट और अधिक गहराने का आरोप लगा रहा है। झांसी से भाजपा विधायक रवि शर्मा का कहना है कि बेतवा केन लिंक परियोजना ही पानी के संकट का स्थायी समाधान है। उन्होंने कहा कि झांसी से मौजूदा सांसद और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती के प्रयासों से ही देश में नदी जोड़ो परियोजना की शुरुआत बुंदेलखंड में बेतवा और केन नदी को जोड़ने से हुयी है।

शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के बीच जल बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाने के कारण परियोजना का काम शुरु नहीं हो पाया है। जल्द ही इस पर काम शुरु होने की उम्मीद है। बसपा के बुंदेलखंड प्रभारी लालाराम अहिरवार ने इसे भाजपा की बहानेबाजी बताते हुये कहा कि केन्द्र और मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में कुछ समय पहले तक भाजपा की सरकार थी। जल बंटवारे पर सहमति न बन पाना महज एक बहाना है।

हकीकत यह है कि परियोजना को लागू करने में तीनों सरकारों के कुप्रंबधन के कारण बुंदेलखंड में पिछले तीन साल में जलसंकट गहरा गया है। उल्लेखनीय है कि बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश की चार लोकसभा सीटें (झांसी, जालौन, बांदा और हमीरपुर) फिलहाल भाजपा के पास हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश की चार सीटों (टीकमगढ़, खजुराहो, भिंड और गुना) में से तीन भाजपा के पास हैं। सिर्फ गुना सीट कांग्रेस (ज्योतिरादित्य सिंधिया) के खाते में गयी थी। कृषि संकट और बेरोजगारी के कारण बुंदेलखंड में पलायन दूसरी बड़ी समस्या है। बांदा, हमीरपुर, महोबा, टीकमगढ़ और पन्ना क्षेत्रों से ग्रामीण आबादी का महानगरों की ओर सर्वाधिक पलायन हुआ है।

सपा के श्याम सुंदर सिंह इसके लिये मोदी सरकार के खोखले वादों को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झांसी में चुनावी सभा में वादा किया था कि बुंदेलखंड रोजगार सृजन का केन्द्र बनेगा। पांच साल में केन्द्र और राज्य सरकारों ने ना तो उद्योग क्षेत्र में कोई बड़ी पहल की और ना ही स्वरोजगार के साधन मुहैया कराये जिससे पलायन का संकट बढ़ गया।

उनका आरोप है कि वादे पूरे नहीं कर पाने के कारण न सिर्फ भाजपा को अपनी कद्दावर नेता को चुनाव मैदान से हटाना पड़ा बल्कि इस चुनाव में मोदी सहित भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने झांसी में चुनाव प्रचार से भी दूरी बना ली। इस आरोप को गलत बताते हुये मुरैना से भाजपा उम्मीदवार और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की दलील है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे और डिफेंस कॉरीडोर परियोजना पलायन प्रभावित क्षेत्रों से ही शुरु की गयी हैं और इनसे रोजगार के व्यापक अवसर भी उपजे हैं। इसके अलावा ग्रामीण एवं शहरी विकास क्षेत्र की परियोजनायें भी रोजगार सृजन का माध्यम बनी हैं। आने वाले समय में बुंदेलखंड नौकरियां देने वाला क्षेत्र बन कर उभरेगा। सत्ता पक्ष के दावे और विपक्ष के आरोपों पर मतदाताओं की प्रतिक्रिया मतदान के रूप में सोमवार को ईवीएम में दर्ज हो जायेगी जो 23 मई को मतगणना के बाद उजागर होगी।














 

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