भविष्य में बिजली की कीमतें कम करने पर विचार करेगी सरकार: श्रीकांत शर्मा

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 28 Feb, 2020 04:25 PM

government will consider reducing electricity prices in future shrikant

राज्य में बिजली की कमी नहीं होने के दावा करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नगद वित्तीय घाटे की भरपाई होने के बाद बिजली की दरों में कमी करने पर विचार किया जाएगा...

लखनऊः राज्य में बिजली की कमी नहीं होने के दावा करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नगद वित्तीय घाटे की भरपाई होने के बाद बिजली की दरों में कमी करने पर विचार किया जाएगा।

विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुये ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने बिजली के क्षेत्र में कई सुधार किये गये है जिसके अनुकूल परिणाम सामने आने लगे है हालांकि नगद वित्तीय घाटा अभी भी करीब 13 हजार करोड़ रूपये के करीब बना हुआ है।

उन्होंने कहा ‘‘ हम केवल तभी सस्ती बिजली की अपेक्षा कर सकते है जब वित्तीय घाटे की भरपाई पूरी हो जाए। '' हालांकि बिजली के दामों में तुरंत कमी की मांग पर अड़े समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुये और शोरशराबा करते हुये सदन से वाकआउट कर गए। बिजली की खस्ताहालत का जिम्मेदार पूर्ववर्ती सरकार को ठहराते हुये शर्मा ने कहा कि पिछली सरकार ने बिजली खरीद समझौता (पीपीए) ऊंची दरों पर किया जो घाटे का सबब बना और इसकी भरपाई के लिये बिजली की दरों में बढोत्तरी के लिये बाध्य होना पड़ा।

नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि जब सरकार कम दरों पर बिजली की खरीद करती है तो उसे वह क्यों उपभोक्ताओं से ऊंची कीमते वसूलती है। सरकार को चाहिये कि बिजली के दामों में तुरंत कमी की जाये। चौधरी की मांग का समर्थन बसपा नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस के सदस्यों ने किया।  मंत्री ने कहा कि बिजली दरो में कमी की मांग फिलहाल स्वीकार नहीं की जा सकती। उन्होने दावा किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति के लिये 7. 50 रूपये प्रति यूनिट का खर्च आता है जबकि ग्रामीण उपभोक्ताओं से 1. 75 रूपये प्रति यूनिट की वसूली की जा रही है। सरकार के जवाब से खफा सपा और बसपा सदस्य वाकआउट कर गये।

शर्मा ने दावा किया कि भाजपा की मौजूदा सरकार के कार्यकाल में पिछले तीन साल के दौरान बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में 52 फीसदी तक की बढोत्तरी हुयी है जो दर्शाती है कि बिजली आपूर्ति बढी है और यह इस क्षेत्र में सुधार होने के लक्षण हैं।
 

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