रिवर फ्रंट घोटाले की जांच ED ने की तेज, रुप सिंह यादव से जुड़े 3 दर्जन से ज्यादा लोगों को भेजा नोटिस

Edited By Prashant Tiwari,Updated: 07 Dec, 2022 04:26 PM

ed intensifies investigation of river front scam may interrogate

समाजवादी पार्टी सरकार में गोमती विकास की परियोजना के तहत बने गोमती रिवर फ्रंट में हुए घोटाले को लेकर को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने जांच तेज कर दी है। जानकारी के मुताबिक ED ने बुधवार को रुप सिंह यादव से जुड़े 3 दर्जन से ज्यादा लोगों को अधिकारीयो

लखनऊ (अश्वनी कुमार सिंह ) : समाजवादी पार्टी सरकार में गोमती विकास की परियोजना के तहत बने गोमती रिवर फ्रंट में हुए घोटाले को लेकर को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने जांच तेज कर दी है। बुधवार को ED ने रुप सिंह यादव से जुड़े 3 दर्जन से ज्यादा लोगों को  जांच के लिए समन भेजा हैं। हाल ही में CBI ने तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव और दो आला अफसरों की भूमिका की भी जांच शुरू की है। CBI ने सरकार से आगे की जांच के लिए पूछताछ की अनुमति मांगी थी। शासन ने निर्णय लेने के लिए सिंचाई विभाग से संबंधित रिकॉर्ड तलब किया था।  वर्ष 2017 में सत्ता संभालते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट की न्यायिक जांच कराई थी।

मुख्यमंत्री योगी ने की CBI जांच कराने की सिफारिश 
बता दें कि यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार को रिवर फ्रंट घोटाले में न्यायिक जांच समिति की रिपोर्ट, गोमतीनगर थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी और अन्य दस्तावेज भेजे गए थे। इसके आधार पर केंद्र ने सीबीआई को जांच सौंप दी थी। योगी सरकार ने  इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में दोषी पाए गए इंजीनियरों और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की सिफारिश की थी।  इसके बाद 19 जून 2017 को सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता डॉ. अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।  बाद में यह जांच सीबीआई को स्थानान्तरित हो गई थी।

बिना प्रोजेक्ट पूरा किए 95 प्रतिशत धनराशि खर्च
आरोप है कि प्रोजेक्ट के तहत निर्धारित कार्य पूर्ण कराए बगैर ही स्वीकृत बजट की 95 प्रतिशत धनराशि कैसे खर्च हो गई? सीबीआई की प्रारंभिक जांच में य​ह सामने आया कि प्रोजेक्ट में बिना काम हुए मनमाने तरीके से खर्च दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की गई। गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की कुल अनुमानित लागत 1513 करोड़ रुपये थी, जिसमें 1437 करोड़ रुपए खर्च हो जाने के बाद भी 60 फीसदी काम पूरा नहीं हो पाया था।  एक आरोप यह भी है कि जिस कंपनी को रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, वह पहले से डिफाल्टर थी।  सीबीआई के बाद  प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लांड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया था।

30 नवंबर 2017 को दर्ज हुआ था पहला मुकदमा
गौरतलब है कि 30 नवंबर 2017 को CBI की एंटी करप्शन ब्रांच ने रिवर फ्रंट घोटाले में यूपी सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे को आधार बनाकर 30 नवंबर 2017 को नया मुकदमा दर्ज किया था। इसमें सिंचाई विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता (अब सेवानिवृत्त) गुलेश चंद, एसएन शर्मा और काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता (अब सेवानिवृत्त) शिव मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव और अधिशाषी अभियंता सुरेश यादव नामजद हैं।

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