Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 09 Nov, 2020 09:36 AM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखनऊ शहर के चारों तरफ 104 किमी की बन रही आउटर रिंगरोड को निर्धारित समय में पूरा करने को हरसंभव उपाय करने की
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखनऊ शहर के चारों तरफ 104 किमी की बन रही आउटर रिंगरोड को निर्धारित समय में पूरा करने को हरसंभव उपाय करने की अपेक्षा सम्बंधित अफसरों से की है। अदालत ने कहा कि यह ऐसा केस नहीं है जिसमें परियोजना को पूरा करने को विवेकाधीन क्षेत्राधिकार के तहत संपूर्ण निर्देश दिया जाय।
बता दें कि यह आदेश न्यायधीश पंकज मित्तल और न्यायाधीश सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची ने लोगों की सहूलियत के लिए इस 104 किमी की सड़क का निर्माण शीर्ष प्राथमिकता पर पूरा कराने के निर्देश दिए जाने की गुजारिश की थी।
याची का कहना था कि इस रोड का शिलान्यास 16 सितंबर 2016 को किया गया था और अफसरों ने इस परियोजना को मार्च 2018 तक पूरा करने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद अभी मात्र इसका 20 फीसदी काम ही हो पाया है। उधर, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तरफ से कहा गया कि शुरु में यह परियोजना जेपी ग्रुप के हाथ में थी, जो इसे पूरा नहीं कर सका और उसको दिए गए टेंडर निरस्त कर अब यह काम प्राधिकरण ने विभिन्न ठेकेदारों को सौंपा है।
यह भी कहा कि इस नए सिरे से सौंपे गए काम के तहत, निर्माण कार्य कई चरणों में किया जाना है। इसको लेकर किए जा रहे विकास कार्य में, कोरोना महामारी की वजह से कम या ज्यादा होने से कुछ माह की देरी हुई। अदालत ने प्राधिकारियों से उक्त अपेच्छा करते हुए रिंगरोड बनाने में देरी के खिलाफ जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।